॥ विधाता की मरजी ॥

युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क


जिसने मुझे है जन्म दिया

वो भी कुछ कर ना पायेगा

मेरी मौत की मुकर्रर है तारीख

विधाता भी रोक ना पायेगा


किस्मत में जो लिखा है विधाता

विधाता को भी मंजूर है

उनकी हर कार्य कलाप पर

दया सब पर भी भरपूर है


होनी को कोई टाल नहीं सकता है

अनहोनी कभी ना होता है

हर क्रिया के विपरीत क्रिया

हर दिन जग में होता है


जो भी करना है कर ले मानव

आ जायेगी जब तेरी पुकार

कोई दलील नहीं सुनेगा तेरी

जब होगी विधाता की हुंकार


पत्ता भी हिलता है पेड़ पर

जब होती है उनकी मरजी

लाख प्रयास कर ले बचने की

खारीज होगी तेरी हर अरजी


अच्छे कर्म का अच्छा नतीजा

बुरे कर्म से करना परहेज

कोई वकालत नहीं सुनेगा

जब सज जायेगी चिता की सेज 


उदय किशोर साह

मो० पो० जयपुर जिला बाँका बिहार

9546115088