शिझक दिवस

युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क


"गुरु ब्रह्मा गुरु विष्णु गुरु देवो महेश्वर:

गुरु साक्षात परम ब्रम्ह तस्मै श्री गुरुवे नमः"


मुझे गर्व है अपने देश पर जहां गुरु को ब्रह्मा,विष्णु,

महेश की संज्ञा दी जाती है, और हो भी क्यों ना.

गुरु अपने प्रकाश रूपी ज्ञान से अंधकार रूपी

अज्ञान को हर लेते हैं. हर उस गुरु को नमन है

जिससे हम अपने जीवन में कुछ ना कुछ सीखें हैं.


आज का दिन है बङा महान,

अपने भावो को आप तक भेज रहे,

क्या होगा इस से बङा प्रमाण।

ऊज्जवल भविष्य देने वाले

हे गुरुवर तुमको प्रणाम।


व्याकरण,समीकरण,इँगलिश

हिन्दी या विषय हो भुगोल,

गुरू ना होते जीवन मे तो

नम्बर आता सबमे गोल।


किताबी पाठ ही नही तूने दिया और भी ज्ञान,

कर्म झेत्र मे जिसके कारण सदैव हुआ है उत्थान,

तेरे इस बलिदान पर सदैव रहेगा मुझको अभिमान।


कर बद्ध करती हुँ मै वन्दन,

जो भी किया अब तक ग्रहण

आने वाले कल को मै

कर दुँगी सब कुछ अर्पण।


प्रथम पाठशाला के अध्यापक,

नमन तुझे  मेरे अभिभावक,

विद्यालय के अध्यापक,

शिझा मिली जिनसे व्यापक,

फिर आया महाविद्यालय,

ये मन्दिर जैसे शिवालय।


जीवन ने करवट ली फिर आया ऐसा मकाम,

शिझको की शिझा का मुझको मिला ये वरदान

नियुक्ति हुई मेरी पाया एक अदद स्थान।


देने वाले मुझको जीवन,नित दिन करुँ तुझको नमन,

और सभी मेरे शिझक जो हैँ मेरे मार्गदर्शक,

आज ही सिर्फ क्योँ, हर दिन करती हुँ नत मष्तक।


अँत मे उन सभी सेवा करने वालो का अभिन्नदन,

डाक्टर,नर्स ,सफाई कर्मी ,पेपर,कूरियर,दूध देने वाले,

सैनिक,उन्होने भी जाने अनजाने दिया है ये ज्ञान

परिस्थिति चाहे हो विषम  देते रहो सदा योगदान।


स्वरचित,

मन की कलम से जिनसे भी जो कुछ सीखा

उन सबको अर्पण।


सविता सिंह मीरा 

झारखण्ड, जमशेदपूर,टेल्को