छोटा सा केतन शुरू से ही दादी का कुछ ज्यादा ही लाडला था । माँ के दफ्तर जाने और फिर आ कर घर के काम करने की वजह से वो केतन को बहुत कम समय दे पाती थी इसलिए सारे लाड उसको अपनी दादी से ही मिलते थे।
दादी अम्मा को पता था कि उसका बेटा बच्चों के मामले में बहुत सख्त और अनुशासन प्रिय है इसलिए वो हमेशां बच्चों को अपने पापा की डांट से बचाने के प्रयास में ही लगी रहती। फिर भी गाहे बगाहे कभी पढ़ाई तो कभी शरारतों के लिए थोड़ी बहुत डांट तो पड़ती ही रहती थी।
बड़ा बेटा रोहन अब समझदार हो गया था और पापा के कहे अनुसार ही चलता लेकिन केतन अभी बहुत छोटा था उसको जब भी लगता कि पापा से डांट पड़ने वाली है वो भाग कर दादी के पास आ जाता और उनकी गोद मे छुप जाता।
इसी तरह लुका छिपी करते करते केतन दसवीं कक्षा में पहुंच गया । वो पढ़ाई में बेहद होशियार था और अच्छे नम्बरों में पास होने के लिए दिन रात मेहनत कर रहा था।उसके सभी पेपर बहुत अच्छे हुए तो उसको उम्मीद थी कि वो प्रथम श्रेणी में तो अवश्य उतीर्ण हो जाएगा। उस दिन दादी भी उसकी राह देख रही थी कि कब वो आकर उसको अपना नतीजा बताए और वो सबका मुँह मीठा करवाये।
इतने में वहां से केतन का एक दोस्त निकला और वहां दादी को देखकर बोला ,"दादी केतन तो फेल हो गया"
इतना बोल कर वो तो चला गया लेकिन दादी उसी समय बेहोश हो गयी ।उसी समय दादी को अस्पताल ले कर जाया गया।
जब तक केतन घर वापिस पहुंचा दादी अस्पताल पहुंच चुकी थी और उसकी हालत बहुत नाजुक थी।डॉक्टर ने बताया कि शायद इनको कोई सदमा लगा है और इनको ब्रेन हैमरेज हो गया है।उसके बाद दादी को होश नही आया और तीसरे दिन वो भगवान जी के पास चली गयी।
शायद वो इसी बात से बहुत डर गई होंगी कि फेल होने की वजह से केतन को अपने पापा से कितनी डांट और मार पड़ेगी..!!
बाद में सब को पता चला कि केतन तो ना केवल अपनी कक्षा में बल्कि अपने स्कूल में भी सबसे ज्यादा अंक लेकर प्रथम श्रेणी में उतीर्ण हुआ था..!!
मौलिक रचना
रीटा मक्कड़