"जीवन में एकएक पल का उपयोग कर लेना चाहिए। बीता हुआ समय कभी वापस नहीं आता। जिंदगी का एकएक क्षण कीमती है। एक सेकेंड की कीमत जानना हो तो ओलंपिक में सेकेंड आए व्यक्ति से पूछो तो पता चले कि एक सेकेंड की कीमत क्या होती है? पल भर में बहुत कुछ घट जाता है। कोई पैदा होता है तो कोई मर जाता है। हम कैसे हैं? हमारे लिए पल की कोई कीमत ही नहीं है। पर महापुरुषों का जीवन देखो, तो समझ में आएगा। ये लोग एकएक पल का उपयोग बहुत सोच-समझ कर करते हैं। इसलिए हमें भी अपने समय का उचित उपयोग करना चाहिए। और हां, हमें किसी दूसरे का समय बरबाद करने का भी कोई अधिकार नहीं है। मुफ्त में मिली जिंदगी का एकएक पल हर किसी के लिए अतिमूल्यवान है। ऐसे तमाम वक्ता या बड़े लोग होते हैं, जो कभी समय से नहीं आते, जिससे हजारों लोगों के अमूल्य पलों की बरबादी होती है। हमें ऐसे लोगों की गलतियों से सफल व्यक्ति के जीवन से सीख ले कर आगे बढ़ना चाहिए।
जी लीजिए आज के इस पल के पल को,
आने वाले कल के पल को किसने देखा है?
भूतकाल के पल समुद्र में विलीन हो!
भविष्य के बादलों में खो गए।
वर्तमान पल भी कलकल बहता जा रहा।
जिया जो पल केवल अपने हो गए।"
बच्चों को समय और उसके एकएक पल का महत्व समझा कर साहब पैर लंबे कर के कुर्सी पर बैठ गए। तभी चपरासी ने आ कर कहा, "प्रधानाचार्य जी ने अभी आप को बुलाथा है।"
"ठीक है, तुम चलो, मैं अभी आता हूं।" कह कर साहब ने फिर पैर लंबे कर लिए।
वीरेंद्र बहादुर सिंह