आया सावन झूम के

 

युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क


था जाड़ा फिर आई गर्मी, 

फिर आया बरसात, 

भीगा दिल बरसात में महके, 

आया सावन झूम के। 


हरियाली ही हरियाली, 

छायी घटा काली काली, 

ठंडी ठंडी बयार चली, 

मनवा भयी मतवाली। 


झूला पड़ा डाली डाली, 

झूल रहीं बाला प्यारी, 

सुहागिनें मेहंदी लगाएं, 

सावन का परिचय करवाएं। 


भक्तों का मन करे भजन, 

भजे परमात्मा को रहे मगन, 

बहनों का पूरा हुआ इंतजार, 

आया फिर राखी का त्यौहार। 


सावन का त्यौहार अनुपम, 

झूमे धरती झूमता ये मन, 

पेड़ भी झूम रहा देखो, 

मस्ती में है हर इक का मन। 


प्रेम में डूब रहा ये मन, 

प्रेमियों का दिल करे गुंजन, 

सावन का है ये कैसा असर, 

प्रेम में दो दिल हुए मगन। 


सावन के बरसात में, 

दो दिल झूमे प्यार में, 

हर रिश्ते को बनाए पावन, 

सावन मास है अनुपम। 


भाई बहन का प्यार जगे, 

प्रेम में दो दिल खूब नाचे, 

उपवास रखती है सुहागिनें, 

देश भक्ति भी जागे। 


स्वरचित- अनामिका मिश्रा 

झारखंड, सरायकेला (जमशेदपुर)