॥ संतोषं परम सुखम् ॥

युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क 


लालच बुरी बलाय है जग में

धन दौलत की लत है बहुत खराब

देना है तो दीजीये प्रभु

संतोपं परम् सुखम की सौगात


आवश्यक्तायें अनन्त है जग में

सज गई है भोतिकता की बाजार

देना है तो दीजीये प्रभु

संतोषं परम् सुखम की सौगात


विलासिता पैर पसार चुकी है

भाग रही दुनियाँ पीछे दिन रात

देना है तो दीजीये प्रभु

संतोषं परम् सुखम् की सौगात


अमीरी की बढ़ गई है चोंचला

गरीबी बन गई है लाचार

देना है तो दीजीये प्रभु

संतोषं परम् सुखम् की सौगात


देखा देखी मन बहकता है

फैसन की दौर बढ़ गई है आज

देना है तो दीजीये प्रभु

संतोषं परम् सुखम् की सौगात


लुट खसोट मची हुई है

व्याप्त है भ्रष्टाचारी का संसार

देना है तो दीजीये प्रभु

संतोषं परम् सुखम् की सौगात


मृगतृष्णा के पीछे दौड़ रही है

गाँव शहर और जवार

देना है तो दीजीये प्रभु

संतोषं परम् सुखम् की सौगात


सुरसा की तरह मुँह फैला रही है

अपराध जगत के पालनहार

देना है तो दीजीये प्रभु

संतोषं परम् सुखम् की सौगात


धन दौलत नहीं पहचान रहा है

अपने पराये को आज

देना है तो दीजीये प्रभु

संतोषं परम् सुखम् की सौगात


रिश्वतखोरी में डुब चुका है

जिम्मेदारी वाली सरकार

देना है तो दीजीये प्रभु

संतोषं परम् सखम् की सौगात


उदय किशोंर साह

मो० पो० जयपुर जिला बाँका बिहार

9546115088