लड़कियाँ

युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क 


लड़कियाँ रिश्ते नहीं निभाती!

वह तो होती हैं ऐसी कली,

जो पुष्पित होती हैं 

किसी अन्य शाख पर।

छोड़ जाती हैं-

माँ-बाप को बिलखता,

भाई-बहनों को सिसकता,

और छूट जाती है,

बचपन की दोस्ती-

किसी का आँगन सजाने में,

या सुन्दर भविष्य बनाने में।

हाँ लड़कियाँ रिश्ते नहीं निभाती।

पर वह सो भी नहीं पाती-

माँ-बाप की बीमारी में,

बस तड़पकर रह जाती हैं लाचारी में...

और

रात-रात भर दुआएं ही कर पाती।

वो बस आशीषों की भेंट ही दे पाती।

भाई-बहनों की बलाएँ ही मांग पाती

और दोस्तों की खैरियत भर-

जानकर ही खुश हो जाती!

हाँ लड़कियाँ रिश्ते नहीं निभाती-

वे जीती हैं बरसों को पलों में!

और हर पल में

अनगिनत रिश्तों को!

लड़कियाँ रिश्ते नहीं निभाती-

बल्कि जीती हैं रिश्तों को-

रिश्तों में जीवन को॥॥


स्वरचित एवं सर्वाधिकार सुरक्षित

©डॉ0श्वेता सिंह गौर, हरदोई