उठता जीवन स्तर गिरते नैतिक मूल्य
आज के इस युग में शिक्षा,तकनीक,औद्योगिकरण,सामाजि
"घर-घर के बिखरे पन्नों में,नग्न क्षुधार्थ कहानी।
जन-मन के दयनीय भाव,कर सकती प्रकट न वाणी"।
आज का मनुष्य वास्तविक नैतिकता को भूल रहा है,वह अपनी विलासी प्रवृत्ति को पूरा करने के लिए ऐसे कार्य करता है जो धर्म और समाज के नैतिक मूल्यों के विरुद्ध होते हैं।
"उठ गया है जीवन स्तर,
हो गया विकास है,
ना जाने फिर भी क्यों?
गिर रहे हैं नैतिक मूल्य"।
मेरी नज़र में जीवन स्तर उठने के कुछ प्रमुख कारण
कारण इस प्रकार हैंः
शिक्षा,ज्ञान,विज्ञान तथा तकनीकी विकास,मशीनीकरण तथा औद्योगीकरण का विकास,देश की अर्थव्यवस्था में सुधार,रोजगार के अवसर बढ़ना,वैश्वीकरण के कारण भी मानवीय स्तर में दिन-प्रतिदिन सुधार हो रहा है,लेकिन फिर भी अधिक पाने की चाह में इंसान अपने मौलिक व नैतिक पतन की ओर बढ़ता चला जा रहा है।
"मिल गई हैं मंज़िलें,मिल गई ऊँचाइयाँ।
ना जाने फिर भी क्यों?गिर रहे हैं नैतिक मूल्य"।
मानव के नैतिक मूल्य इस प्रकार हैं जिन्हें वह विकास की होड़ में दिन-प्रतिदिन भूलता जा रहा हैः
राष्ट्र की एकता,अखंडता तथा प्रभुसत्ता को बनाए रखना,अपने राष्ट्र की सेवा व रक्षा करना,सर्वधर्म सम्भाव की भावना को बनाए रखना,सर्वजन सुखाये-सर्वजन हिताये की भावना को बनाए रखना,अभिलाषाओं की पूर्ति हेतु गलत मार्ग ना अपनाना, आपसी प्रेम और सौहार्द्र बनाए रखना आदि।यह सब हमारे वास्तविक नैतिक मूल्य,कर्त्तव्य तथा दायित्व हैं जिन्हें आज का मनुष्य विकास की होड़ में भूलता जा रहा है।
"हो गए नितांत परावलंबी पशुसदृश हम,
कालकूट अब परस्पर फूट का सब पी रहे हैं।
अब देखकर,सुनकर भी कोई देखता सुनता क्यों नहीं?
व्यर्थ है पढ़ना उनका जो सबकुछ देखकर भी गुनते नहीं"।
उठता जीवन स्तर,गिरते नैतिक मूल्यों पर गहन विचारोपरांत कहा जा सकता है कि भौतिक सुख सुविधाओं तथा आकर्षण के प्रति अविभूत होकर इंसान को किसी भी बुरे मार्ग या माध्यम को नहीं अपनाना चाहिए, मनुष्य को अतिस्वार्थी नहीं बनना चाहिए,आपस में प्रेम,सौहार्द्र,भाईचारे तथा एकता की भावना को बनाए रखना चाहिए, पश्चिमी सभ्यता का ज़रूरत से ज़्यादा अंधानुकरण न करें,आपस में किसी भी तरह जाति,धर्म, लिंग, वर्ग भेद न करें।
"मनुष्य अपने अंतर्मन में व्याप्त सर्वधर्म सम्भाव,सर्वजन हिताये तथा सर्वजन सुखाये जैसे भावों को समाप्त न होने दे"।
अभिव्यक्ति-ज्योति रानी
प्रशिक्षित स्नातक शिक्षिका
के.वि.मुजफ्फरपुर