हमेशा मुस्कुराना तुम
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तुम्हारा साथ पाकर मैं
हुआ हूँ पूर्ण जीवन में
रहेंगे साथ मिलकर अब
न होना दूर मुझसे तुम..।।
मेरे जीवन में जो भी है
तुम्हारे नेह का फल है
मेरे मन के बगीचे में
अगर कोई है वो हो तुम..।।
तुम्हारे प्रेम से पुष्पित
हुआ है पुष्प जीवन का
मेरे जीवन के उपवन में
हमेशा यूं ही रहना तुम..।।
चलेंगे साथ मिलकर हम
सफ़र जीवन का जैसा हो
मेरी मुस्कान तुम से है
हमेशा मुस्कुराना तुम..।।
हमेशा मुस्कुराना तुम..।।
***विजय कनौजिया***
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*मौलिकता का प्रमाण पत्र*
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मैं *विजय कनौजिया* स्व-प्रमाणित करता हूँ कि प्रविष्टि में भेजी रचना नितांत मौलिक है, अतः मैं आपके लोकप्रिय व प्रतिष्ठित समाचार पत्र में काव्य रचना को प्रकाशित करने हेतु निवेदन करता हूँ ।
*विजय कनौजिया*
ग्राम व पत्रालय-काही
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हमेशा मुस्कुराना तुम