सो नृप अवसि नरक अधिकारी
लोकतन्त्र में कोई राजा नहीं होता है लेकिन कुछ लोग अपने को राजा समझ लिए हैं।
तुलसीदास का यह दोहा,
"जासु राज प्रिय प्रजा दुखारी।
सो नृप अवसि नरक अधिकारी।"
उन लोगों को अर्पित कर रहा हूँ।
जीवन में जब कभी चोट लगी, सिर्फ दो की याद आई।
सबसे पहले माँ की।
67 साल का अनुभव है। माँ का नाम लेते ही दर्द कम हो जाता है।
दूसरे नम्बर पर याद आती है, ईश्वर की।
कभी माँ दुर्गे के रूप में, कभी माँ काली के रूप में, कभी बजरंग बली के रूप में, कभी शिव के रूप में, कभी राम के रूप में, कभी कृष्ण के रूप में और कभी भगवान अवधूत सिंह शावक राम के रूप में भी।
अपने अनुभव के आधार पर कह रहा हूँ, "ईश्वर को याद करते ही कोई रास्ता निकल आता है।"
आसाम में बड़ी तादाद में लोग एन आर सी ( नागरिकता टेस्ट ) की सजा भुगत रहे हैं। जो लोग इस टेस्ट की मांग किए थे, अब वह भी कह रहे हैं कि ना बाबा ना।
इसके बाद भी लोकतन्त्र के सर्वोच्च मन्दिर में कहा गया कि एन आर सी अवश्य। इसके विरोध में लोग सड़कों पर हैं।
इस विरोध को कुचलने की पहले मार दो, ठोंक दो, गोली मारो सालों को, की भाषा बोली गई। फिर मारी जा रही है।
इसे लेकर मैं धीरेन्द्र नाथ श्रीवास्तव आज 31 जनवरी 2020 को ईश्वर से बारम्बार प्रार्थना कर रह रहा हूँ,
हे प्रभु, आप इस महान देश को - गोली मारो सालों को- की भाषा और आचरण से बचा लो।
जो लोग - गोली मारो सालों को- की भाषा और आचरण से मुक्ति चाहते हैं, उनसे आग्रह है कि वह जहाँ हैं, वहीं पूजा करें, प्रार्थना करें, कीर्तन करें, नमाज पढ़े, दुआ करें।
जो लोग - गोली मारो सालों को- के जनक हैं, उनके लिए महाकवि तुलसीदास का,
जासु राज प्रिय प्रजा दुखारी।
सो नृप अवसि नरक अधिकारी।
दोहा प्रस्तुत कर रहा हूँ।
कृपया पढ़े और हो सके तो लोकतन्त्र के उसी मन्दिर में फिर से खड़े होकर कहें कि एन आर सी नहीं, नहीं ।
धीरेन्द्र नाथ श्रीवास्तव
सम्पादक
राष्ट्रपुरुष चन्द्रशेखर सन्सद में दो टूक
लोकबन्धु राजनारायण विचार पथ एक
अभी उम्मीद ज़िन्दा है