देश और समाज को नई ऊंचाइयां देने वाले  महान पत्रकारो की आएगी जीवनी =अजय कुमार 


हाल ही में लखनऊ के दो वरिष्ठ पत्रकार जोखू प्रसाद तिवारी और अरविंद शुक्ला जी का दुखद निधन हुआ। दिन दोनों अवसर पर पत्रकार संगठन द्वारा आयोजित पुष्पांजलि व श्रद्धांजलि सभा में दिवंगत पत्रकारों व अन्य वरिष्ठ पत्रकारों के जीवन व उनके द्वारा पत्रकारिता के क्षेत्र में किए गए सराहनीय कार्यों पर एक पुस्तक तैयार करने का निर्णय लिया गया है। मैं 2017 से वरिष्ठ पत्रकारों पर संस्मरण पुस्तिका तैयार करना चाहता हूं परन्तु सफलता नहीं मिल पा रही है।समाज के उत्थान में कलम के सिपाहियों (पत्रकार) ने हमेशा अहम किरदार निभाया है। ऐसे पत्रकारों की लम्बी जमात है जिन्होंने देशहित और समाज के निर्माण के लिये अपना सब कुछ ठीक निक्षावर कर दिया। इन पत्रकारों ने पत्रकारिता को हमेशा एक मिशन की तरह लिया। समाज में पत्रकार की भूमिका की तुलना सेना के उन जवानों से की जा सकती है जो देश की सीमाओं को महफूज रखने के मिशन में चट्टान की तरह डटे रहते हैं और जरूरत पड़ने पर जान की बाजी लगाकर शहादत देने में भी नहीं हिचकते है। इन जाबांजों के मन में एक पल भी यह नहीं आता है कि अगर वह नहीं रहेगे तो उनके परिवार का क्या होगा ? प्राणों की आहूति देने के लिये हमेशा तैयार रहने वाले इन जांबाजों को हमेशा याद किया जाता है,लेकिन कलम के सिपाही की ऐसी तकदीर नहीं होती है। यही वजह है आज तक देश और समाज को नई ऊंचाइयां देने वाले तमाम महान पत्रकारों के बारे में हम या तो अनभिज्ञ हैं या फिर उनके बारे में बहुत थोड़ा जानते हैं।वर्तमान में पत्रकार के सुख-दुख और उनके पारिवारिक जीवन के बारे में हम पूरी तरह यह अनिभिज्ञ हैं। दुर्भाग्य ही है कि देश-दुनिया को आईना दिखाने दिखाने वाले वाले पत्रकारों ने कभी अपने वजूद के बारे में नहीं सोचा,जो सबके लिये लिखते रहे,उन्हें अपने या अपने संगी-साथियों के बारे में लिखने का कभी समय नहीं मिला। आज पत्रकारिता के बारें में तो सैकड़ों पुस्तके बाजार में उपलब्ध हैं लेकिन बाजार में कोई ऐसी पुस्तक नहीं मिलती हैं, जिससे हम अपने पुराने पत्रकार बंधुओं के बारे में जान सकें और उनसे नई पीढ़ी प्रेरणा ले सकें(यदि किसी पुस्तक का नाम पता हो तो लेखक के नाम सहित बतायें)। गरीब-शोषित जनता को उसका हक दिलाने, नेताओं की कारगुजारी पर पैनी नजर रखने वाले,ब्यरोके्रसी को उसका कर्तव्य बोध कराने वाले पत्रकारों के बारे में हमने 2017 से कुछ जानने की कोशिश की तो हमारा अबतक प्रयास अधूरा जरूर रह गया,लेकिन हम इस दिशा में शून्यता से आगे बढ़ने में जरूर कामयाब रहे।उत्तर प्रदेश मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति के अध्यक्ष श्री हेमंत तिवारी ने हाल ही में इस दिशा में प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकारों के संबंध में एक पुस्तक तैयार करने की घोषणा की है। लखनऊ के कुछ वरिष्ठ पत्रकारो के नाम मुझे याद आये है। यह वह पत्रकार हैं या थे जिन्होंने लखनऊ में आकर पत्रकारिता की या फिर यहां से आगे निकलकर लखनऊ का नाम रोशन किया। बहरहाल, मुझसे जो कुछ हो पाया उसे मैं यहां पोस्ट कर रहा हूॅ।इनमें बहुत से नाम छूट गए है। जिन्हें याद आएं, इनबॉक्स में उनका उल्लेख करते हुए उनका संक्षिप्त विवरण भी दे देंगे।
*एम चेलापति राव- सबसे पहला नाम इन्हीे का याद आता है। आप ने राजनीति को कभी अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया। जेब में त्यागपत्र लेकर घूूमने वाले संपादकों में अग्रणी नेशनल हेरेल्ड के एम सी चेलापति की खासियत यह थी कि प्रेस परिसर में बड़ी से बड़ी राजनैतिक हस्ती आती थी लेकिन वह कभी अपने कमरे से बाहर नहीं निकलते थे। तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू तक चिक(पर्दा) उठाकर उनके कमरे में जाते थे,उस समय जरूर शिष्टाचार का पालन करते हुए राव अपनी कुर्सी से खड़े भर हो जाते थे। यह सिलसिला लम्बे समय तक चला और नेहरू ने इसका कभी बुरा नहीं माना। दोनों के बीच अच्छा सांमजस्य था। चेलापति ‘इंडियन फेडरेशन आॅफ वर्किंग जर्नलिस्ट के प्रथम अध्यक्ष थे। पत्रकारिता को नया आयाम देने वाले चेलापति का अंतिम समय अच्छा नहीं गुजरा।
*तरूण कुमार भादुड़ी अपनों के बीच दादा भादुड़ी के नाम से मशहूर थे। गुजरे जमाने की फिल्म अभिनेत्री जया भादुड़ी के पिता तरूण भादुड़ी लखनऊ में ‘स्टेटमैन’ समाचार पत्र से जुड़े रहे थे। इसके अलावा वह रंगमंच कलाकार के रूप में भी अपनी अलग पहचान बनाये हुए थे। तरूण ने कई किताबें भी लिखी। भादुड़ी द्वारा दस्युओं के जीवन को केन्द्र में रखकर लिखी गई पुस्तिका ‘अभिशप्त चंबल’ जो बंगला में थी काफी चर्चित रही थी। तरूण के डालीबाग स्थित आवास में होली का जश्न बड़े धूमधाम से मनाया जाता था। इस मौके पर उनके दामाद द्वारा गाया गया सिलसिला फिल्म का गीत ‘रंग बरसे भीगे चुनर वाली’ जरूर बजता था और पत्रकार बिरादरी खूब नाच गाना और धमाल करती थी। एक बार तो अमिताभ बच्चन भी होली के हुड़दंग का हिस्सा बने थे। आसपास के लोग अपनी-अपनी छतों से यह नजारा देखा करते थे। तरूण ने अपनी छोटी बेटी का विवाह लखनऊ पोस्टिंग के दौरान ही किया था। यह विवाह इस लिये यादगार बन गया था क्योंकि इस वैवाहिक कार्यक्रम में आमंत्रित मेहमानों से अधिक बिन बुलाये मेहमानों का जमावड़ा लग गया था। सबको पता था कि शादी समारोह में अमिताभ बच्चन भी शरीक होंगे। हालात यह हो गये कि अतिथियों के खानपान की व्यवस्था करने में तरूण को छींके आ गईं। तरूण राज्यसभा के सदस्य भी रह चुके थे। तरूण ने अंतिम सांस मुम्बई में ली।
*अखिलेश मिश्र-अपनी पहचान को लेकर कभी मोहताज नहीं रहे। लखनऊ से प्रकाशित होने वाले समाचार पत्र स्वतंत्र भारत को अपने समाचार संपादक काल में नई ऊंचाइयां देने वाले अखिलेश ने निर्भिक होकर पत्रकारिता की और कभी किसी नेता को अपने ऊपर हाॅवी नहीं होने दिया। एक वाक्या याद आता है। तब अखिलेश मिश्र जबलपुर के एक प्रतिष्ठित समाचार पत्र के संपादक हुआ करते थे। यहां एक कार्यक्रम रखा गया था जिसमें मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को भी आना था,लेकिन अखिलेश मिश्र अड़ गये कि सीएम का स्वागत नहीं करेंगे। ऐसा ही हुआ। दिग्गी राजा को जब इस बात का पता चला तो वह बोले आजकल ऐसे पत्रकार कहां मिलते हैं। दिग्गी ने स्वयं संपादक अखिलेश मिश्र के कमरे में जाकर उनसे न केवल भेंट की बल्कि मध्य प्रदेश के हालात पर भी गंभीरता से चर्चा की।
*हमीदी बे( पूरा नाम याद नही आ रहा) भी स्टेटमैन से ही जुड़े हुए थे। भाषा पर अच्छा नियंत्रण रखने वाले हमीदी की अंतरराष्ट्रीय मुद्दो पर पैनी नजर रहती थी। दुनिया के तमाम मुस्लिम नेताओं से बे सम्पर्क में रहते थे। बंग्लादेश में जब लड़ाई छिड़ी हुई थी तब हमीदी ने टंककाल के जरिये लंदन में मौजूद शेख मुजीबुर रहमान से काफी देर तक बात की। फोन पर हुई वार्ता के आधार पर तैयार की गई खबर काफी काफी चर्चित हुई थी। *सुरेन्द्र चतुर्वेदी- जितने अच्छे पत्रकार थे उससे अच्छे इंसान। जिंदादिली उनमें कूट-कूट कर भरी हुई थी। एक जमाने में लखनऊ का हदय स्थल कहे जाने वाले हजरतगंज के काॅफी हाउस में सजने वाली महफिलों की वह शान हुआ करते थे।जहां बड़े-बड़े नेताओं से लेकर पत्रकारों,साहित्यकारों,व्यंग्यकार काफी के बीच देश-दुनिया से लेकर नुक्कड़ तक के मसलों पर चर्चा किया करते थे। सुरेन्द्र की एक खासियत यह थी कि वह अपनी लेखनी के माध्यम से व्यंग्य करते थे,उसे ही सबसे पहले सुनाना पसंद करते थे,लेकिन कभी भी किसी राजनेता या नौकरशाह ने इसका बुरा नहीं माना। रूढ़िवादी विचारोें के खिलाफ सुरेन्द्र की कलम खूब चली। यूपी नाटक अकादमी अक्सर ही उन्हें अपने नाटकों का आकलन करने के लिये बुलाती थी। दिल्ली से प्रकाशित होने वाले हिन्दी दैनिक नव भारत टाइम्स के लखनऊ ब्यूरो के रूप में उन्होंने लम्बे समय तक अपनी सेवाएं दीं। देश-प्रदेश के बड़े-बड़े राजनेताओं से वह बड़े सरल अंदाज में गंभीर बातें कर लिया करते थे। 1960 में नवभारत टाइम्स में विशेष संवाददाता के रूप में पत्रकारिता की शुरूआत करने वाले सुरेन्द्र की योग्यता को देखते हुए बाद में उन्हें इस संस्थान ने क्रिएटिव अध्ययन संस्थान का सलाहाकार बना दिया। सुरेन्द्र ने यूपी के प्रदेशीय दूरदर्शन पर एंकरिंग करके भी खूब नाम कमाया था।
*अमीनसलोनवी-साइकिल पर चलते थे अच्छे पत्रकारों में गिनती होती थी।नौशाद जी के काफी करीबी थे। सलोनवी के बेटे भी पत्रकारिता से जुड़े रहे। पुत्र मोबिन ताउम्र पाॅयनियर में क्राइम् रिपोटिंग करते रहे। वहीं हुसैन अमीन कौमी आवाज से जुड़े रहे।
*सी.एन चितरंजन-संपादक ‘नेशनल हेरेल्ड’ को कांगे्रसी विचारधारा से जुड़े समाचार पत्र में रहते हुए भी निष्पक्ष कवरेज के लिये सुर्खियों में हमेशा बने रहे।
*इशरतअलीसिद्दीकी-प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू से लेकर इंदिरा गांधी और तमाम कांगे्रसी नेताओं के काफी करीबी सिद्दीकी साहब की अंतरराष्ट्रीय मामलों पर पैनी पकड़ थी। विश्व प्रसिद्ध धर्मगुरू अली मियाॅ के साथ इशरत जी का काफी नजदीकी रिश्ता था। राजनीति से लेकर मीडिया तक में महत्वपूर्ण स्थान रखने वाले इशरत जी की यह खासियत थी,उन्होंने कभी इन संबंधों का स्वयं के लिये फायदा नहीं उठाया। न ही किसी और को ऐसा करने दिया।
*बिशन कपूर- जितने अच्छे पत्रकार थे,उतने ही अच्छे लेखक भी। कई घोटालों का पर्दाफाश करने वाले इस पत्रकार की पहचान ‘ब्लिट्स’ से होती थी। ब्लिट्स के लिये काफी समय तक बिशन ने काम किया। आपकी लिखी कई किताबें आज भी सराहनीय हैं। नक्सलवाद की समस्या के समाधान के लिये बिशन हमेशा चिंतित रहे।
पिछले तीन-चार दशक में पत्रकारिता जगत में कई कीर्तिमान स्थापित करने वाले कुछ पत्रकारों के नाम मैं सहेज पाया हॅू। निश्चित ही तमाम नाम छूट भी गये होंगे। ऐसे नामों को हमें याद दिलाने की जिम्मेदारी आप की है। उललिखित पत्रकारों के बारे में यदि आप अतिरिक्त जानकारी दे सकते हो तो वह भी कमेंट्स बॉक्स में डाल दें। हम उसका स्वागत करेंगे। इन पत्रकारों में कई नाम ऐसे हैं जो हमें छोड़कर दुनिया से जा चुके हैं,लेकिन पत्रकारिता जगत में वह अमर हैं।
1 एम सी चेलापति राव (संपादक नेशनल हेरल्ड)
2. एस एन घोष (संपादक पाॅयनियर)
3. इशरत अली सिद्दीकी (संपादक कौमी आवाज)
4. अशोक रजनीकर जी नवजीवन
5. ज्ञान चन्द्र जैन (अमृत लाल नागर जी के मित्र थे।कई किताबे लिखीं)
6. अशोक जी (स्वतंत्र भारत से पहले केन्द्र राष्ट्र भाषा अधिकारी थे)
7. योगेन्द्र पति त्रिपाठी (संपादक स्वतंत्र भारत)
8. सत्यदेव शर्मा नवजीवन बाद में जागरण के संपादक बने
9. के के मिश्रा नवजीवन
10. वीरेन्द्र सिंह संपादक स्वतंत्र भारत
10 ए भगवत शरण जागरण
11.अखिलेश मिश्र संपादक स्वतंत्र भारत
12 आर एन द्विवेदी ब्यूरो चीफ यूएन आई
13. के बी माथुर संपादक अमृत प्रभात/एनआईपी के प्रबंधक भी रहे
14. जय प्रकाश शाही अमृत प्रभात/जनसत्ता
15.श्यामा प्रसाद प्रदीप पांचजन्य
16.बचनेश त्रिपाठी राष्ट्रधर्म
17.एस पी निगम नेशनल हेरेल्ड
18.ललित रायजादा पाॅयनियर
18. बिशन कपूर ब्लिट्स
19.चन्द्रोदय दीक्षित स्वतंत्र भारत
20. अम्बिका प्रसाद वाजपेयी साहित्यकार/ पत्रकार
21.सत्येन्द्र शुक्ला आज
21.पीके राॅय द हिन्दू
22. एस एम जाफर इकनामिंक्स टाइम्स
23.सलाउद्दीन उस्मान कौमी आवाज
24.अमीन सलोनवी उर्दू की न्यूज एजेंसी
25.लक्ष्मीकांत तिवारी इंडियन एक्सप्रेस
26एस सी काला टाइम्स आॅफ इंडिया
27 हामीदी बे स्टेटट्स मैंन शेख मुजिबुर रहमान से लंदन में बात की थी
28.प्रकाश शुक्ला यूएनआई
28.एस एन सप्रू पीटीआई
29. कृष्ण कांत शास्त्री(के के) टाइम्स आॅफ इंडिया
30.विनोद शुक्ला दैनिक जागरण
31.गिरधारी लाल पाहवा जागरण झांसी
32.वीर विक्रम बहादुर मिश्र संपादक, स्वतंत्र भारत
33. राम कृपाल सिंह नभाटा दिल्ली
34 नवीन जोशी स्वतंत्र भारत/हिन्दुस्तान
35 प्रमोद जोशी स्वतंत्र भारत
36. राजनाथ सिंह सूर्य हिन्दुस्तान समाचार/तरूण भारत/आज
37. गुरूदेव नारायण स्वतंत्र भारत 38 हेमंत तिवारी
38.हसीब सिद्दीकी नवजीवन
39. जोखू प्रसाद तिवारी नवजीवन
40- रविन्द्र सिंह नवजीवन
40- सरदार कालसी हेरल्ड
40- अंकल पी सी सेठी
40. ज्ञानेन्द्र शर्मा समाचार भारती/जागरण
40 A - आर.सी. श्रीवास्तव चंदर
41.प्रदीप कपूर ब्लिट्स 41 सुरेश बहादुर सिंह
42. भानू प्रताप शुक्ला तरूण भारत
43. शिव सिंह सरोज स्वतंत्र भारत
44. तरूण कुमार भादूड़ी फिल्म अभिनेत्री जय भादुड़ी के पिता स्टेटमैन
45. के एल मुखर्जी दादा स्टेटमैन
46 के विक्रम राव टाइम्स आॅफ इंडिया
47.पीएस सेठी दैनिक मिलाप उर्दू
48 एस के त्रिपाठी इंडियन एक्सपे्रस
49. एम ए हफीज एनआईपी/हिन्दुस्तान टाइम्स
50.शीतला सिंह जनमोर्चा
51. राम वृक्ष सिंह उर्फ सरोजेश गाजीपुरी गांडीव
52. रजनीकांत मिश्रा स्वतंत्र भारत/राष्ट्रीय सहारा
53. सुरेन्द्र चतुर्वेदी नव भारत टाइम्स
54. हयात उल्ला अंसारी कौमी आवाज
55. सी एन चितरंजन संपादक नेशनल हेरेल्ड
56.राज बल्लभ ओझा नवजीवन
57.राम उग्रह कार्टूनिस्ट टाइम्स आफ इंडिया
58. यादव राव देशमुख पांचजन्य
59.मधुकर त्रिवेदी लखनऊ मेेल
60. एच के गौड़ नेशनल हेरेल्ड
61. कपिल वर्मा हिन्दुस्तान टाइम्स/राज्यसभा सदस्य
62. विद्या सागर टाइम्स आफ इंडिया
63.ओसामा तलहा एन0आई0पी0 63 देश किरण मेहता एन आई पी
63 कार्टन फिग एनआईपी
सी 63 सुशील सिलवानों पाॅयनियर
डी 63 अनूप श्रीवास्तव स्वतंत्र भारत
ई 63 सुरेश सिंह स्वतंत्र भारत/ माया
64.ललित रायजादा पाॅयनियर
64Aओसामा ताल्हा
64B- जगत बाजपेई
65. सुभाष दवे अमर उजाला
66. भगवत शरण दैनिक जागरण
67.सियाराम शरण त्रिपाठी स्वतंत्र भारत
68.वीर विक्रम बहादुर स्वतंत्र भारत
69. सोहनलाल महरोत्रा हिन्दुस्तान समाचार
70.राम चन्द्र श्रीवास्तव टाइम्स आॅफ इंडिया
71.हरपाल नैय्यर पीटीआई
72 सत्य नारायण जायसवाल स्वतंत्र भारत/अमृत प्रभात
73 बालेश्वर अग्रवाल
74 सदाशिव द्विवेदी यूएनआई
75 सुरेन्द्र दुबे यूएनआई
76 सुदर्शन भाटिया यूएनआई
77. जगदीश नारायण शुक्ला प्रतिदिन
78. ताहिर अब्बास स्वतंत्र भारत/सहारा
79. रणविजय सिंह सहारा
80. सुनील दुबे हिन्दुस्तान/सहारा
81. आ कु श्रीवास्तव जागरण
82. ज्ञानेन्द्र सिंह जागरण
83. नरेन्द्र भदौरिया जागरण, उन्नाव निवासी
84 एस पी प्रेमी फोटो जर्नलिस्ट
85 हरिश कपूर फोटो जर्नलिस्ट
86 पी के टण्डन फोटो जर्नलिस्ट
87 संजीव प्रेमी फोटो जर्नलिस्ट
88 बीडी गर्ग फोटो जर्नलिस्ट
89 राजू तिवारी
89 भगवंत प्रसाद पांडेय साप्ताहिक
90 करूणा शंकर सक्सेना पाॅयनियर
91. उपेन्द्र शुक्ल स्वतंत्र पत्रकार
92. अशोक निगम समाचार भारती
93 पी वी वर्मा टाइम्स
94. श्याम कुमार स्वतंत्र पत्रकार
95. राजेन्द्र द्विवेदी आज
96. घनश्याम दुबे स्वतंत्र भारत
97 विजय शर्मा हिन्दुस्तान टाइम्स
98. विजय दीक्षित समाचार भारती/नवभारत टाइम्स
99. विजय शर्मा पाॅयनियर
100. विजय शंकर पंकज सहारा
101. अशोक शुक्ला सहारा
102. राम सागर पाॅयनियर हिन्दी
103 अमिता वर्मा एशियन एज
104 ताविषी श्रीवास्तव पाॅयनियर
105 उदय सिन्हा पाॅयनियर/जागरण/सहारा
106 प्रमोद गोस्वामी भाषा
यह नाम वरिष्ठता के क्रम व आधार पर नही लिखे गए है, जैसे जैसे याद आते गए लिखता गया हूं। इस लिए छमा चाहता हूँ।प्रकाशित होने वाली पुस्तक में क्रमवार विस्तृत विवरण होगा। जो भी नाम मेरी गलती या अल्प ज्ञान से छूट गए हो तो कृपया उपलब्ध कराने का कष्ट करेगें । आभारी रहूंगा।
यह सारे नाम लखनऊ में प्रिंट मीडिया से सम्बंदित पत्रकारों के हैं। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के पत्रकार साथियों के नामों और उनके द्वारा की गई सराहनीय सेवाओं से संबन्दित जानकारी प्रिंट मीडिया के संबंधित साथी उपलब्ध करा दें उनका आभार रहेगा अजय कुमार,लखनऊ
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