युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क
देखो बसंत ऋतु है आई,
खेतों में पीली सरसों लहराई ।
आम के बागानों में कोयल,
कुहू- कुहू की रट लगाई ।
वन-उपवन हैं हरे-भरे,
प्रकृति में रौनकता लाई ।
लहलहाते गेहूँ के खेत,
चल रही पवन पुरवाई ।
कितनी सुहानी ऋतु आई,
यौवन ने फिर ली अँगड़ाई ।
झूमते- गाते भ्रमर सारे,
फूलों ने खुशबू फैलाई ।
नव गीत सजे नव प्रीत जगे,
वासंती रंग जगत में छाई ।
मौर लगे आम के पेड़ों में,
पलास के फूल भी सकुचाई ।
मुकेश उइके "मयारू"
ग्राम- चेपा, पाली, कोरबा(छ.ग)
मो.नं.- 8966095681