युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क
झूठे रिश्ते नाते जान, झूठी है ये सब पहचान |
झूठी तेरी सारी शान, मत कर दौलत पर अभिमान ||
कर ले खुद पर तू उपकार, समझो प्रेम जगत का सार |
ईश्वर जीवन का आधार,भज मन प्रभु कर देंगे पार |
मीठे रस का कर तू दान, जग में पायेगा सम्मान |
झूठी तेरी सारी शान,मत कर दौलत पर अभिमान ||
संतन सेवा कर निष्काम, जिससे बढ़ते नव आयाम |
फिर भजना श्री हरि का नाम,हो जायेंगे सारे काम ||
प्रभु से ही सब जग गतिमान,इसका रखना मन में भान |
झूठी तेरी सारी शान,मत कर दौलत पर अभिमान ||
कर्मवीर ही वो इंसान, गढ़े धरा में नया विधान|
सतकर्मी ही बने महान, देता जग उसको सम्मान ||
नश्वर काया प्यारे जान, जग क्षण भंगुर है तू मान |
झूठी तेरी सारी शान,मत कर दौलत पर अभिमान ||
पाया जीवन ये अनमोल, मन मुख मिसरी रसना घोल |
अंतर्मन के पट अब खोल, राधे राधे मुख से बोल ||
बगुले जैसा कर ले ध्यान,खोना मत तू निज ईमान |
झूठी तेरी सारी शान, मत कर दौलत पर अभिमान ||
धन के पीछे अब मत भाग, सोया क्यूँ है प्यारे जाग |
अब दुष्कर्मों का कर त्याग,कर ले कुछ श्री हरि से राग ||
कर ले सच्चे अच्छे काम, लेकर प्यारे प्रभु का नाम |
झूठी तेरी सारी शान, मत कर दौलत पर अभिमान ||
पड़े समय की जब भी मार, हो जाता मानव बेकार |
धन के कारण करता वार,करता जीवन खुद का खार ||
मानव तन की कीमत जान,मानवता की कर पहचान |
झूठी तेरी सारी शान, मत कर दौलत पर अभिमान ||
समय बड़ा होता बलवान,निर्धन हो जाता धनवान ||
इतना धन देना भगवान,कर पाऊँ दुखियों को दान |
अब मत भटको हे इंसान, अब तो सच को तू जान |
झूठी तेरी सारी शान,मत कर दौलत पर अभिमान ||
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कवयित्री
कल्पना भदौरिया "स्वप्निल "
लखनऊ
उत्तरप्रदेश