तुम क्या समझोगे।

युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क


तुम क्या समझोगे,

मिलन की आशा,

बिछड़ने की निराशा।

पीर जो उठती है सीने में, 

उस दर्द की परिभाषा।

तुम क्या समझोगे...

मिलन के आंसु,

बिछड़ने के आँसू ।

पीर जो उठती है 

मिलने की.....

उस मिलन की अभिलाषा।

तुम क्या समझोगे.....

पलटते कदमों संग

नयनों की नमी को,

मर्यादा में छुपाने की चेष्टा।

तुम क्या समझोगे...


गरिमा राकेश 'गर्विता' 

कोटा,राजस्थान