नवल वर्ष को देना है

बीती बिसरी बात भुला कर, आने की सुध लेना है |

प्रेम  सुधा  का पान कराकर,नवल वर्ष को देना है ||

अभिनन्दन करना तुम मिलकर,इस आने वाले कल का |

संघर्ष  गढ़े  इतिहास  नवल,जीवन  गाथा  के पल का ||

हर  कर्म  हमारा धर्म  बने,नाव निरंतर  खेना  है |

प्रेम सुधा का पान कराकर,नवल वर्ष को देना है ||


बीत गये जो  पल  उनसे  तुम, मीठी यादें  ही चुनना |

भूलो कमियों को जीवन में,अब स्वप्न सुनहरे बुनना ||

सभी संकीर्णतायें तजकर, प्यार भाव ही लेना है |

प्रेम सुधा का पान कराकर,नवल वर्ष को देना है ||


शिक्षा के नव  आयाम बने,उदर न  कोई  भूखा हो |

मन सबके ही अब स्वस्थ रहे, नीर नेह ना सूखा हो ||

आदि अनंत कर्मठता लिये, अब थाम हाथ लेना है |

प्रेम सुधा का  पान कराकर, नवल वर्ष को  देना है ||


कवयित्री 

कल्पना भदौरिया "स्वप्निल "

लखनऊ

उत्तरप्रदेश