नूतन वर्ष की आकांक्षा

युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क


नव वर्ष के आगमन पर मेघ हर्षित हो रहे हैं

चितकबरी ओढ़ चुनरिया गगन पर छा रहे हैं 

तड़तड़ तड़के तड़ित चमक कर करती स्वागत

नन्ही नन्ही रिमझिम बुंदियां बादल छिड़क रहे हैं 


इंद्रधनुष अंगुआई करने गगन मंडल में खिला हुआ

जुगनू चमकें मेंढक टर्राते नभ तारों से सजा‌ हुआ

मोर पपीहा स्वागत को आतुर नाचें छेड़ें अपनी तान

दिन में सूरज की लुकाछुपी चांद निशा में खिला हुआ 


मंदिर  घंटियां बज रहीं, हों रही आरती‌ नये बरस की

घर घर मंगल गान हो रहे ललक दिखी नव रचना की

यौवन में अंगड़ाई दिखती , नया सबेरा नये शोध की

रोजगारोन्मुखी व्यवसायिक शिक्षा शिक्षण चिंतन की 


शिक्षाविद वैज्ञानिक मिल अनुसंधानों की झड़ी लगाएं

साहित्यकार और शिल्पकार नव रचना की विधा बताएं

योगी संत और‌ संन्यासी अध्यात्म क्षेत्र में देश बढ़ाएं

सशक्त हो मेरा भारत राजनीतिज्ञ सब मिल जुट गाएं 


नव वरस  का  एक‌ ही नारा भारत मेरा सबसे प्यारा

विश्व गुरू पद लक्ष्य हमारा धर्म सनातन करे पुकारा

आओ हम सब मिल गाएं समरसता का पाठ सुनाएं

भारत का संकल्प एकही प्रतिदिन नवाचार का नारा 


बच्चू लाल परमानंद दीक्षित

दबोहा भिण्ड मप्र