युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क
एक बार फिर आओ ,
स्वर्ण केशी लहराओ ।
माता कुमाता न होती ,
वचन दोहराओ।
सीता सहित पधारो ,
संघर्ष सहर्ष करो ।
सबरी के जूठे बेर ,
प्रेमपूर्वक खाओ।
लख अलख जगाओ,
प्रेम राग फिर गाओ ।
जग के श्रेष्ट नाविक,
घना तम मिटाओ।
कर्म कौशल दिखाओ,
मीठी वाणी से लुभाओ।
माता अहिल्या को ताडो,
सिंधु राह बनाओ।
✍️ज्योति नव्या श्री
रामगढ़ ,झारखंड