.... वीर जवान......


युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क 


इंतजार कर रही मॉं सरहद पर गए वीर जवान का,

जो आशीर्वाद लेकर जल्द आने को बोलकर गया था।

अपने सोते हुए बच्चों की एक झलक देखकर गया था।

इंतजार कर रही सुहागन पायल बजाती अपने सुहाग का,

जो नेह ही नेह बरसाएगा आंखों ही आंखों में कह गया था।

माथे पर चमक रही उसकी बिंदी को निहार कर गया था।।


लाल, हरी चूड़ी खनकाती वह शमा की भांति जलती रही।

दिन ,महीने ,साल गुजरे इंतजार में परवाना आया ही नहीं।

बूढ़ी आंखें तक रही उसको जो बगिया को महकायेगा।

उसके हाथों की बनी बचपन की मीठी भात भी खाएगा।।


इंतजार का फल तो मीठा होता है।

स्वाद भी उसका लाजवाब होता है।

तिरंगे में लिपटकर शान से आया।

गंगा मैया की गोद में समाने को आया।।


पतझड़ में पत्ते झड़े पर बहार बनकर न आया।

आंसू बनकर वीर जवान वापस आया ,वापस आया।।


✍️डॉ० प्रेरणा गर्ग दिल्ली