युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क
सर्दी बहुत है न !
देखो तो
ठिठुर रहे हैैं
एहसास भी आजकल,
क्योंकि
अपनी-अपनी व्यस्त जिंदगी के
कोलाहल में भी
नितान्त अकेले हैं हम दोनों ही कि,
कहने-सुनने की सब वज़हें
बर्फ़ की सी
अनचाही पिघलन की तरह
हमारी ऊष्माओं के बीचोंबीच से
रिसती ही जा रहीं हैं,
तभी तो
एक गोला बनाया है
थोड़ी सी नरम धूप का ,
वक्त की सलाइयों पर
बुन रही हूं
एक स्वेटर ख्वाबों का ,
सुनों
रंग पीला है उसका
बिल्कुल पीली धूप सा चटकीला,
कहीं-कहीं कुछ धारियां हैं
सुरमई सांझ सी लाल,,
देखो, खूब फब रहें हैं इसपर
उम्मीदों और संभावनाओं के बड़े-बड़े बटन,,,,
पहन तो लोगे न !!
नमिता गुप्ता "मनसी"
मेरठ, उत्तर प्रदेश