रोबोटिक सर्जरी से जटिल ऑपरेशन हुए आसान

युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क

सहारनपुर। देहरादून से आये रोबोटिक सृजन डॉ0 मयंक नोटियाल ने आईएमए हाल में आयोजित चिक्तिसको की कार्यशाला में रोबॉटिक सर्जरी पर व्यख्यान देते हुए बताया कि सर्जरी में रोबोटिक्स का इस्तेमाल सबसे पहले 1990 के दौर में शुरू हुआ था,जिसमे 1997 में द विंची सर्जिकल सिस्टम आने के बाद तेजी से इसका विकास हुआ। आज भारत मे लगभग 7000 रोबॉटिक सर्जरी हर साल होती है और देश भर में एक हजार से ज्यादा विशेषज्ञ रोबोटिक सर्जन है। भारत मे इस समय कोच्चि और बेंगलुरु में रोबोटिक्स सर्जरी के ट्रेनिंग कार्यकम चलते है।

इसमें रोबोटिक असिसटिड सर्जरी,टेली सर्जरी,टेली मैनिपुलेशन, टेली मेंटरिंग आदि मुख्य विधियां है।जिनसे पेट की अनेको जटिल सर्जरी आसानी से होती है। इसमें मरीज को सर्जरी के बाद खून चढ़ाने की जरूरत नही होती है और मरीज केवल दो से तीन दिन में ही अस्पताल से घर जा सकते है और दवाइयों का खर्च भी इसमें कम आता है साथ ही ऑपरेशन के लिए चीरा भी बहुत ही कम लगता है।

कार्यक्रम में आईएमए अध्यक्ष डॉ0 कलीम अहमद ने आये हुए विशेषज्ञ चिक्तिसको का धन्यवाद करते हुए बताया कि विदेशों में इस्तेमाल होने वाली उन्नत किस्म की रोबोटिक सर्जरी की मशीनें अब भारत के बड़े शहरो में उपलब्ध है,आने वाले समय मे इसके विशेषज्ञ सर्जन सहारनपुर जैसे शहरों में भी अपनी सेवाएं दे सकते है।ये आधुनिक चिक्तिसा विज्ञान का अदभुत करिश्मा है। जिससे अनेको जटिल बीमारियों का इलाज संभव हुआ है।

डॉ0 प्रवीण शर्मा,डॉ0 महेश चन्द्रा, डॉ0 मोहन सिंह,डॉ0 डी के गुप्ता,डॉ0 रविकान्त निरंकारी आदि ने कार्यक्रम में अस्पतालो की बिजली समस्याओं के समाधान के लिए अपने सुझाव दिए।

डॉ0 संजीव मित्तल ने कार्यक्रम का संचालन किया इस दौरान डॉ नरेश नौसरान,डॉ0 अजय सहगल, डॉ0 उपशम गोयल,डॉ0 संजय यादव,डॉ0 महेश ग्रोवर,डॉ0 मोहन पांडे,डॉ0 रिक्की चौधरी,डॉ0 अनुपम मलिक, डॉ0 रजनीश,डॉ0 सुदर्शन नागपाल,डॉ0 नीरज आर्य,आदि उपस्थित रहे।