चाणक्य नीति: साल 2024 में सफल इंसान बनना चाहते हैं तो इन बातों को जरूर ध्यान में

युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क

चाणक्य नीति: साल 2024 की शुरुआत हो चुकी है। ज्योतिषियों की मानें तो मूलांक के अनुसार यह वर्ष शुभ साबित रहने वाला है। इस वर्ष सभी क्षेत्रों में विकास देखने को मिलेगा। करियर और कारोबार में भी तेजी रहेगी। धन की देवी मां लक्ष्मी और दैत्यों के देवता शुक्र देव की कृपा से साल 2024 में सभी को विशेष सफलता मिलने वाली है। अगर आप भी अपने जीवन में सफल इंसान बनना चाहते हैं, तो आचार्य चाणक्य की इन बातों को जरूर ध्यान में रखें। आचार्य चाणक्य की रचना नीति शास्त्र में सफल होने हेतु विस्तार से जानकारी दी गई है। आइए, इसके बारे में सबकुछ जानते हैं-

आचार्य चाणक्य की बातें

संतोषस्त्रिषु कर्तव्यः स्वदारे भोजने धने।

त्रिषु चैव न कर्तव्योऽध्ययने जपदानयोः॥

महान दार्शनिक आचार्य चाणक्य अपनी रचना 'नीति शास्त्र' के सातवें अध्याय के चौथे श्लोक में कहते हैं कि धर्मपत्नी, भोजन और धन- इन तीनों चीजों से संतोष करना चाहिए। आसान शब्दों में कहें तो इन चीजों से व्यक्ति को संतोष रखना चाहिए। वहीं, विद्या अर्जन, तप और दान प्राप्त करने हेतु व्यक्ति को लालची होना चाहिए। अगर आप अपने जीवन में महान बनना चाहते हैं और ईश्वर का आशीर्वाद प्राप्त करना चाहते हैं, तो इन चीजों को पाने में लालची अवश्य बनें।

आचार्य चाणक्य कहते हैं- व्यक्ति को विद्या अर्जन करने में लालची बनना चाहिए। विद्या गुप्त धन है, जो कभी घटता नहीं है, बल्कि बढ़ता रहता है। इस धन के माध्यम से व्यक्ति जीवन में सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति कर सकता है। अतः साल 2024 में पढ़ने की आदत अवश्य डालें। विद्या अर्जन हेतु आप डिजिटल मोड के बजाय पुस्तक का सहारा लें।

आचार्य चाणक्य आगे कहते हैं कि व्यक्ति को हमेशा तप करना चाहिए। इसमें कंजूसी नहीं करनी चाहिए। जीवन में जितना तप करें, कम है। यह एक ऐसा मार्ग है, जिस पथ पर चलकर आप ईश्वर को प्राप्त कर सकते हैं, सत्य को प्राप्त कर सकते हैं। अपना उद्धार कर सकते हैं। अतः साल 2024 में अधिक से अधिक जप और तप करें।

आचार्य चाणक्य अंत में कहते हैं कि व्यक्ति को दानवीर होना चाहिए। चिर काल से दान देने की प्रथा रही है। राजा बलि से लेकर महान योद्धा कर्ण ने दान के सहारे ईश्वरत्व को प्राप्त किया था। दान देने से धन कभी नहीं घटता है। ऐसा करने से ईश्वर का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है।