काश, ये जिंदगी ऐसी ही होती

युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क 


खुशियों को जीते, दुख छोड़ आते कहीं

थोड़ा तुम हंस लेते, थोड़ा मैं हंस लेती ,

काश , ये जिंदगी ऐसी ही होती !!


जख्म तो मिलते, मगर वो फांस जो चुभती

थोड़ा तुम सह लेते, थोड़ी मैं सह लेती

काश, ये जिंदगी ऐसी ही होती !!


नन्हें तारे भी होते, चाहतों के आसमां में कहीं

थोड़ा तुम तोड लाते, थोड़े मैं तोड़ लाती ,

काश, ये जिंदगी ऐसी ही होती !!


पल जो भी होते, चाहे गम के..या फिर खुशी के

थोडा तुम लिखते, थोड़े मैं लिखती ,

काश, ये जिंदगी ऐसी ही होती !!


नमिता गुप्ता "मनसी"

मेरठ, उत्तर प्रदेश