आओ आगे बढ़ें, चुनाव - चुनाव हो चुका, रखें सामने खड़ी चुनौतियों वादों पर ध्यान

युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क

पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव का अवसान हो गया। सभी जगह मुख्यमंत्री बन चुके हैं। शह-मात का पर्दा साफ हो चुका। मध्यप्रदेश में शिवराज खत्म और मोहनराज का आगमन हो चुका। जनता, पार्टी कार्यकर्ता भी काम पर लौट गये। नई सरकार सारी की सारी जनता की सरकार हैं। मुख्यमंत्री पूरे प्रदेश के मुखिया हैं।

नई सरकार के सामने समस्याओं का अंबार व अनेक चुनौतियां हैं।, मुखिया को अब प्राथमिकताऐं चुनकर रणनीति के साथ कार्यों का संतुलन बनाना है। पार्टी की घोषणाएं, वचनपत्र के पालन के साथ, अभी तक जो नहीं हो सके, ऐसे कार्यों को करना है, अधूरे व चल रहे कार्यों को अंजाम तक पहुंचाना है।

विकास योजनाओं को गति देना है। पिछली सरकार में कई वर्ग उपेक्षित रहे हैं युवा वर्ग, कर्मचारी एवं पेंशनर्स, संविदा व आउटसोर्स परेशान रहे हैं, मध्यम वर्ग भी (क्योंकि जिनके पास धन की कमी नहीं वे आर्थिक रूप से समृद्ध हैं, गरीबों की मदद सतत सरकार कर रही हैं और बचा मध्यम वर्ग जो सदैव से उपेक्षित रहता है) परेशान हैं। इनके उत्थान के लिए मुख्यमंत्री को सतत कार्य करना होगा।

राजस्व के स्त्रोत जो खैरातों व सुविधाएं बांटने से सिकुड़ गये हैं, ख़ज़ाने में कमी की वजह से उस वक्त सरकार द्वारा जो कर्ज़ लिया गया हैं, उसकी किश्तों, मूलधन+ब्याज का चुकारा करने के लिए, अतिरिक्त धन की जुगाड़ करने के फलस्वरूप आय जुटाने के, राजस्व जुटाने  के कार्य करना हैं, जब ऐसा करना है तो कर, शुल्क बढ़ाने होंगे, ऐसे प्रयासों के करने से मंहगाई अपने आप तेजी से बढ़ेगी, इसका प्रभाव प्रत्यक्ष रुप से ईमानदार टेक्सपेयर जनता पर व मध्यम वर्ग पर सीधा पड़ेगा। 

चुनावी समय के वर्ष में जनता का भला चाहने वाली सरकार द्वारा तेजी से घोषणाऐं की गई इसमें वोट रिझाने की सुगंध भी मौजूद रहीं, इससे इंकार नहीं किया जा सकता लेकिन वे हमारी सरकार के खजाने के लिए सेहतमंद नहीं साबित हुई हैं न आगे रहेगी। उन्हें पूरी करने के लिए अतिरिक्त रूप से राजस्व आय बढ़ाने की व्यवस्था करनी होगी, इसके चलते महंगाई वृद्धि को रोका नहीं जा सकता, अतिरिक्त कर्ज़ लेने की आवश्यकता पड़ सकती हैं।

राज्य में फिजुलखर्ची पर रोक लगानी पड़ेगी, मितव्ययता बरतनी होंगी, नॉन रेवेन्यू जनरेटेड एक्सपेंडिचर पर ब्रेक लगाना व रेवेन्यू जनरेटेड एक्सपेंडिचर को बढ़ाना होगा। यह विचार करना होगा कि कर्जा क्यों ले रहे हैं, इसका चुकारा कैसे होगा, यह कर्जा हमारी अर्थव्यवस्था पर पाज़िटिव रहेगा या निगेटिव रहेगा। घोषणाओं के खर्च की, समग्र जनहित को देखते हुए, पूर्ण रूप से सतत आब्जर्वेशन होना चाहिए यह विचार करके की इसका समग्र जनता की आर्थिक सेहत पर क्या प्रभाव पड़ेगा।

सरकार द्वारा किये जनहित के वादे पूरे करने का कार्य महत्वपूर्ण है लेकिन यह सोचिए की पिछली सरकार बेरोजगारों को काम क्यों नहीं दे सकीं।  हजारों पद क्यों रिक्त हैं, मध्यप्रदेश में  हर विभाग में हर वर्ग के कर्मचारियों, पेंशनर्स, संविदा, बाह्य स्त्रोत कर्मचारी अपनी समस्याओं, मांगों के पूरा नहीं होने से अब तक

क्यों दुखी हैं, पिछली सरकार में उनकी समस्याओं का निराकरण क्यों नहीं हुआ। भ्रष्टाचार, रिश्वतखोरी, अपराध लगातार क्यों बढ़ रहे हैं, जान-माल की सुरक्षा क्यों लचर हैं, महिलाओं पर अत्याचार क्यों बढ़ें और आम नागरिक, हर तरफ असुरक्षित क्यों महसूस करते हैं। रात और दिन किसी भी समय आप घर से बाहर सुरक्षित नहीं चाहे घर पर रहो तो भी सुरक्षा का भय रहता हैं। शासकीय योजनाओं में भ्रष्टाचार रोकने की जिम्मेदारी की उपेक्षा हो रही है।

बड़ी समस्याओं के अलावा भी अनेक ऐसे विषयों पर सरकार गंभीरता महसूस करते हुए आवश्यक कदम उठा सकती हैं और यह जनता के लिए हितकारी होगा। मुख्यमंत्री से जनता को काफी आशागत अपेक्षाऐं है, अब जनता कह रही हैं, मुखिया जी, आओ आगे बढ़ें,  चुनाव हो चुका, सामने खड़ी चुनौतियों वादों पर ध्यान दें और कार्यों की शुरुआत करें।

 मदन वर्मा " माणिक "

इंदौर, मध्यप्रदेश

मो. 6264366070