जब खत्म हो जाएंगे सारे स्पर्श..

युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क 

उस दिन.. 

हम कैसे छू सकेंगें कुछ

जब खत्म हो जाएंगें सारे स्पर्श !!

नहीं छू सकेंगें हवा

वो गुजर जाएगी यूं ही

बिना कुछ कहे

चुपचाप ही !!

हथेलियां नहीं महसूस कर सकेंगी बूंदें ,

तब लाएंगे कहां से

गीलापन ,

उस रूठी हुई बारिश को

कैसे मना पाएंगे तब !!

नहीं खींच सकेंगें

सूर्य का अग्रिम प्रकाश भी ,

बस, धरे ही रह जाएगें हम

तम के संदूकों में 

अंत तलक !!

और..

कैसे स्पर्श करेंगें "मन" का 

"मन" से ,

जब छू ही नहीं सकेंगें

किसी कविता को 

अंतस तक !!


नमिता गुप्ता "मनसी"

मेरठ , उत्तर प्रदेश