जब बोलो कुछ अच्छा बोलो

युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क

मन के उदगार हर जगह ना खोलो,

जब बोलो कुछ अच्छा बोलो।

कड़वी बोल चुभ जाए जो इक बार

लाख लगाओ मलहम उसपर , 

पड़ जाती है वहाँ दरार ।

सूई से तुरपाई सीखो,

कैंची की ना बन जाओ धार ,

फटे रिश्ते को भी सी लो,

जब बोलो कुछ अच्छा बोलो।

दिवंगत की तुम पूजा करते,

क्षमा माँगते ,देते तर्पन

फिर जिवित से क्यों करो बुरा व्यवहार,

उन को भी करो प्यार तुम अर्पण,

बटोर लो उनसे दुआएँ अपार,

सोचो सोचो हृदय के कोमल द्वार खोलो, 

जब बोलो कुछ अच्छा बोलो।

डॉ. रीमा सिन्हा (लखनऊ)