युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क
मथुरा। जयगुरुदेव सत्संग मेला में दूसरे दिन राष्ट्रीय उपदेशक सतीश चन्द्र और बाबूराम ने श्रद्धालुओं को सम्बोधित किया। सतीश चन्द्र ने बताया कि हमारे दादा गुरु जी ‘घूरेलाल महाराज’ अद्भुत शक्ति सम्पन्न महापुरुष थे। बाबा जयगुरुदेव ने अपने गुरु की पुण्य स्मृति में मथुरा बाईपास पर भव्य और वरदानी जयगुरुदेव नाम योग साधना मन्दिर का निर्माण करवाया जहाँ बुराईयाँ चढ़ाने पर मनोकामना की पूर्ति होती है।भगवान श्री कृष्ण के अवतरण पर प्रकाश डालते हुये कहा कि मैं विशेष परिस्थतियों में आता हूँ। हे अर्जुन! जब यहाँ चाँद, सूरज कुछ भी नहीं बना था तब भी मैं था।
जीव कर्मों के वशीभूत होकर जन्म-जन्मान्तरों तक भटकता रहता है। छुटकारा तो तब होता है, जब सन्त मिलते हैं। जब-जब मात्शक्ति का अपमान होता है तब-तब भगवान का अवतार होता है। महापुरुषों के सत्संग से ही विवेक जागृत होगा और बुद्धि सत्य-असत्य का निरूपण कर सकेगी। राष्ट्रीय उपदेशक बाबूराम ने बताया कि पहले जिनके माथे पर धुरधाम जाने का निशान होता था उन्हीं को महात्मा नामदान देते थे जैसे रज्जब मिया, सहजो बाई, मीराबाई आदि। लेकिन बाबा जयगुरुदेव जी महाराज ने सभी जीवों पर दया करके धुरधाम जाने के लिये नामदान यानि प्रभु प्राप्ति का रास्ता बताया।
‘‘गुरु बिन भव निधि तरै न कोई जो विरंचि शंकर सम होई’’ पंक्ति को उद्धृत करते हुये कहा कि बिना गुरु के परमात्मा कभी नहीं मिल सकता है। चाहे वह शंकर भगवान के समान क्यों न हो। प्रभु को पाने के लिये सभी महात्माओं ने बहुत रोया, उनकी तड़प में आँसू बहाये हैं। मेले में काफी दूरदराज से आकर भक्त सत्संग सुन रहे हैं। वहीं जय गुरुदेव मंदिर को आकर्षक ढंग से रंग बिरंगी झिल मिलाती रोशनी से सजाया गया है। आने वाले लोगों के लिए व्यापक व्यवस्था की गई है। मेले की व्यवस्था में चरन सिंह, बाबूराम, संतराम चौधरी, मामा, संजय शर्मा व कमलेश आदि लगे हैं।