युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क
जग में सबसे भल सत्संग ।
भाई-बहिनी परब सु-रंग।
यमुना दें यम को जो भेंट-
श्रीफल में निर्मल जल गंग।
शुक्ल कार्तिकी लग्न प्रभात।
पुलकित सोदर हिय सहजात।
बँँधे बालपन सुधि की डोर-
एकल भावित सुख दिन-रात।
दीप पर्व त्रय दिव के बाद।
भैया दूज मधुर आह्लाद ।
सरल प्रीति का अनुपम राज-
भाई पाहुन अन्न प्रसाद ।
यमपुर था भीषण अँधियार।
यम खाते भगिनी के द्वार।
नारकीय दुख से जग त्राण-
दोषी को लें भक्त सँभार।
षडरस भोजन सुधा समान।
थाल सजाती बहिन सुहान।
आगत पुरखे आत्मिक भाव-
आशिष में शुभ संस्कृति गान।
सहित भोज महि ज्ञान सुमेल,
शुद्ध सजी भू जीवन बेल।
मीरा भारती