युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क
सुनों, मत करो चिंतन गहन ,
बह जाने दो, कह जाने दो..आंसुओं को,
ये ही त़ो रूपरेखाएं हैं, तुम्हारी श्री विजय की !!
तम तो भ्रम है, वो भी एक क्रम है,
एक अवसर है..प्रभात किरण का ,
फिर डर कैसा, ये भ्रम कैसा ,
निस्वार्थ बढें तो
टल सकती सभी बाधाएं हैं ,
ये ही तो रूपरेखाएं हैं, तुम्हारी श्री विजय की !!
सुनों, उठाओ तो गांडीव..
चढाओ प्रत्यंचा भी ,
कि पराजय सभी तुम्हारी
बन चलेंगीं "सारथी" ,
समय साक्षी है, युग-युग की कथाएं भी ,
जब भी उपेक्षित होता है सच
कमजोरियां ही बन जाती हैं "कवच" ,
प्रयत्न करने से ही बदलती रेखाएं हैं ,
ये ही तो रूपरेखाएं हैं, तुम्हारी श्री विजय की !!
इसलिए कोशिश करो..
तुम राम बनों.. लक्ष्मण बनों..अर्जुन बनों..
हां , अर्जुन बनों .. !!
©नमिता गुप्ता "मनसी"
मेरठ, उत्तर प्रदेश