नंदलाल

युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क 

   

धन्य भाग्य होते यशोदा के, 

जब मोहन मैया कहते हैं।

घड़ी घड़ी आकर मैया,

झट खूब बलइयां लेती हैं।


धन्य भाग होते वसुधा के,

जब मनमोहन घुटरून चलते हैं।

धर मृदा का रूप धरा,

झट तन मोहन के लिपटते हैं।


धन्य भाग होते मारूत के,

जब अटखेली माधव करते हैं।

धर शीतल मंद पवन के रुप,

तन होकर उनके गुजरते हैं।


धन्य भाग होते ग्वालन के,

जो माखन नंदलाल चुराते हैं।

धर लबों पे झूठे शिकवे ,

बस दर्शन के बहाने आते हैं।


धन्य भाग होते गोपियन के,

जब मोहन मटकी तोड़ते हैं।

झगड़े के बहाने उनके,

पास हो हरदम आते हैं।


धन्य भाग्य होते मुरली के,

जब अधरों पर मोहन रखते हैं।

मंद मंद मुस्काते वेणु ,

राधे को क्लेश कराते हैं।


धन्य भाग होते राधे के,

जब उन संग रास रचाते हैं।

जुदा ना होते एक पल भी वो,

बस मन मंदिर में बसते हैं।।


     अर्चना भारती नागेंद्र 

पटना (सतकपुर,सरकटट्टी) बिहार