हमारी एकता, भाईचारे में अमृत घोल दें !

युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क

77 वां स्वतंत्रता दिवस आव्हान करता हैं हमारी एकता, भाईचारे में अमृत घोल दें।

आज जुनून खून में देशभक्ति का उबाले ले रहा हर किसी में और गर्म है। भारत देश की रचना में भारतमाता की आत्मा बसती है और हमारे इस देश की आवाम, प्रकृति, संसाधन, रागरागिनी, बच्चे, बूढ़े, नवजवान और प्रहरी व किसान ही हमारी भारतमाता है। ये सुखी हैं तो भारतमाता खुश है और ये दुखी हैं तो वह दुख, भारतमाता के कलेजे

पर बुरा असर डालता है इसलिए भारतमाता का दामन दुख के आसुओं से नहीं बल्कि खुशियों के आंसुओं से भींगे। जरा भी उन्हें दुख ना पहुंचे, इस पर ध्यान देश के होनहार कर्णधारों को रखना होगा।

देश की राजनीति में पक्ष-विपक्ष दो धूरिया हैं लोकतंत्र की तराजू के दोनों आवश्यक अंग हैं।

लोकतंत्र के मंदिर में मर्यादानुसार वाचालता गरिमा को बढ़ाती है। अतिशय बोलना उच्श्रृंखलता कहलाता है। लोकतंत्र के मंदिर में आसन्न किरदारों की जिम्मेदारी हैं देश में अमन,शांति,सौहार्द बढ़े,महिलाओं को पूर्ण सम्मान व सुरक्षा मिलें। देश की गंभीर समस्याओं से किन्हीं परिस्थितियों में भी मुंह मोड़ा नहीं जा सकता। पुरखों पर व्यंग्य बाणों से इतिहास भी बदला नहीं जा सकता। हम तो मिट्टी से बरतन चमकाने वाले हैं, एकदूसरे को कोसने से देश का उत्थान नहीं होगा। जो नहीं हैं दुनिया में उनकी आत्मा को दूख पहुंचेगा।

मदन वर्मा " माणिक "

इंदौर, मध्यप्रदेश