युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क
इस बेरहम संसार में,
इस मतलबी जहान में,
रिश्तों के मकड़जाल में,
बनते बिगड़ते हालात में,
बन तिनके का सहारा,
खड़ा है दोस्त हमारा।
प्रीत की बेवफाई में,
झूठी रहनुमाई में,
कोरी मुस्कुराहटों में,
उस मुस्कुराहटों के छलावे में,
बन सुकून भरा सहारा,
खड़ा है दोस्त हामारा।
रिश्तो की झूठी हमदर्दी में,
अपनों के नाउम्मीदी में,
बिन बात की आन में ,
दिखावे के झूठे शान में,
बन हमराज़ एक दूजे का,
खड़ा है दोस्त हामारा।
शिखर पर पहुंचने की होड़ में,
विचारों की तोड़-जोड़ में,
लोगों की बिगड़ती सोच में ,
जहां बिकते इमान हर मोड़ में,
बन मुरत सच्चाई का,
खड़ा है दोस्त हमारा।
अर्चना भारती
पटना (सतकपुर,सरकट्टी)बिहार