चिकोटी

 युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क

ब्याज छोड़िए दम्भ में,

डूब रहा है मूर।

हर दिन दिल्ली हो रही,

लोकतन्त्र से दूर।

सिर्फ धन विहँस रहा है।

- धीरु भाई