अनगढ़ को जो गढ़ता है
भटकों को राह दिखाता है
तिमिर में उम्मीदों की किरण
जो दिखा जाता है,
वह शिक्षक ही तो है,जो सबको
मार्ग दिखाता है।
जो समाज को नई दिशा की ओर
ले जाता है,
खुद तपकर औरों का जीवन, जो
निखारता है
गर्त में डूबे हुए को जो उबारता है
वह शिक्षक ही तो है,जो सबको
मार्ग दिखाता है।
जीवन की पाठशाला में, जीना
जो सिखाता है
जिनके बलबूते एक अबोध बालक
बेशुमार ज्ञान पाता है
जिनके आशीर्वाद से पूरा जीवन
सँवर जाता है
वह शिक्षक ही तो है,जो सबको
मार्ग दिखाता है।
जिनका तीनों लोकों में बजता
डंका है
जिनमें समरसता, सहजता और
सरलता है
अनकही,अनसुलझी बातों को जो
सुलझाता है
वह शिक्षक ही तो है,जो सबको
मार्ग दिखाता है।
महेन्द्र साहू"खलारीवाला"
गुण्डरदेही बालोद छ ग