मोहब्बत की ये मेरी नादानी है

 युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क


कशमोकश उलझनों में उलझी

आज मेरी जिंदगानी है

मोहब्बत की थी हमनें कभी 

यही तो मेरी नादानी है।।


एक वक्त था कि हम सबको 

यही बस समझाते थे

करना ना कभी मोहब्बत ये 

सिर्फ दर्द-ए रवानी है।।


ना जाने क्यों कभी मोहब्बत

के नाम पर हम चिढ़ते थे

दूर से देख कहते थे मोहब्बत

जिंदगी की तबाही है।।


कहती , समझाती थी सखियां

मोहब्बत कर के देख

कहती थी कभी मोहब्बत मैं

सिर्फ दर्द-ए आग ही है।।


ना जाने कब , कैसे नैन उनसे 

एक दिन मेरे टकराए 

दिल की धड़कनें बड़ी थी मेरी 

यही दिल की गवाही है।।


ना चाह कर भी दिल मेरा मुझे

उनकी ओर खींचने लगा

खिंची चली गई मैं उनकी ओर

यही खता जवानी की है।।


समझाया मैंने दिल को मुझे

यूं धड़क न सताओ तुम

ना माना दिल मेरा , इसमें मेरी

खता क्या यही बात बतानी है।।


दिल की बातों में आकर आखिर

मोहब्बत हो ही गयी

बातों में आ के मोहब्बत में टूंटी मैं

यही तो मेरी कहानी है।।


टूटी टुकड़ों में जब मैं , खुद के टुकड़े

समेट कलम में भर जाती थी

टूटे टुकड़ो की दास्तां जो लिखी मैंने

दुनिया दर्द-ए शायरा नाम से जानी है।। 


कशमोकश उलझनों में उलझी

आज मेरी जिंदगानी है

मोहब्बत की थी हमनें कभी 

यही तो मेरी नादानी है।।


वीना आडवाणी तन्वी

नागपुर, महाराष्ट्र