मिला जो किनारा खिली है कली,
सभी बोलते हैं महकती गली |
बताती चलूँ मैं हुआ आज है,
सजी थी बहुत मै कहूँ राज है ||
गले जो मिले थे वही कह रहे,
सजल नैन उनके दिखे हैं बहे |
कहे वो हमारी प्रिये तुम जगो,
उठो अब प्रिये तुम गले से लगो ||
सुनो राम जी आज पूरी करो,
करो तुम चमत्कार झोली भरो |
महावर लगाऊं कटोरी लिये,
छनक फिर उठे ये बहारे प्रिये ||
महावर लगाऊं दिलो में जिये,
छनक फिर उठे ये बहारे प्रिये |
चलूँ संग मैं भी सहारा बनूँ,
जगत कुछ नहीं आज किनारा करूँ ||
करो तुम भरोसा दिखाऊं अदा,
चिता संग भी मैं जलूँगा सदा |
किया प्रेम तुमसे अमर प्रीत हो,
वचन सात पूरे यही जीत हो ||
किनारा मिलेगा सुखद श्रेष्ठ हो,
कहेगे सभी लोग नव पृष्ठ हो |
शरण में तुम्हारी सदा मैं रहूँ,
मलूँ ज्ञान बाती यही अब कहूँ ||
सुनो श्याम आराधना प्रेम की,
करुँ साधना नित्य मैं नेम की |
रहूंगी तुम्हारी सदा कामना,
शरण लो मुझे अब बसी भावना ||
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कवयित्री
कल्पना भदौरिया"स्वप्निल "
लखनऊ
उत्तरप्रदेश