किनारा (शक्ति छंद )

 युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क 


मिला जो किनारा खिली है कली,

सभी बोलते हैं महकती  गली |

बताती चलूँ मैं हुआ आज है,

सजी थी बहुत मै कहूँ राज है ||


गले जो मिले थे वही कह रहे,

सजल नैन उनके दिखे हैं बहे |

कहे वो हमारी प्रिये तुम जगो,

उठो अब प्रिये तुम गले से लगो ||


सुनो राम जी आज पूरी करो,

करो तुम चमत्कार झोली भरो |

महावर लगाऊं कटोरी लिये,

छनक फिर उठे ये बहारे प्रिये ||


महावर लगाऊं दिलो में जिये,

छनक फिर उठे ये बहारे प्रिये |

चलूँ संग मैं भी सहारा बनूँ,

जगत कुछ नहीं आज किनारा करूँ ||


करो तुम भरोसा दिखाऊं अदा,

चिता संग भी मैं जलूँगा सदा |

किया प्रेम तुमसे अमर प्रीत हो,

वचन सात पूरे यही जीत हो ||


किनारा मिलेगा सुखद श्रेष्ठ हो,

कहेगे सभी लोग नव पृष्ठ हो |

शरण में तुम्हारी सदा मैं रहूँ,

मलूँ ज्ञान बाती यही अब कहूँ ||


सुनो श्याम आराधना प्रेम की,

करुँ साधना नित्य मैं नेम की |

रहूंगी तुम्हारी सदा कामना,

शरण लो मुझे अब बसी भावना ||

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कवयित्री 

कल्पना भदौरिया"स्वप्निल "

लखनऊ

उत्तरप्रदेश