पितृपक्ष

 युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क

पितरों के नाम जल अर्पण करते,

श्राद्ध में तन मन से तर्पण करते।

अंजुलि भर जल ले संकल्प करें,

श्राद्धों में हम पितरों को याद करें।

आशीष से उनके सफलता मिलती,

तर्पण से आत्मा को उनके शांति मिलती।

पंडित जी को अपने घर पर बुलाते,

प्रेम से उन्हें से खाना खिलाते।

दान दक्षिणा देकर विदा करें,

पितरों के नाम पर भोजन करें।

मेरी नजर से देखो तो यारों,

जीते जी उनका सम्मान करो प्यारों।

पंडित जी को खिलाने से कुछ न होगा,

क्या खाएगा खाना  आकर कौवा।

कहो बाद में किसने, क्या है देखा?

जीते जी ही मात पिता को जिला लो,

सम्मान से प्रेम से रोटी उनको खिला दो।

दिल उनका जीते जी खुश हो जाएगा,

आशीर्वाद उनके मुख से मिल जाएगा।

श्राद्ध कर्म का फल जितना मिलेगा,

पितृपक्ष का यहां रूप खिलेगा।

संस्कारों से हमें जिन्होंने रोंपा,

कामना को उनकी देना नहीं धोखा।

आत्मा को तृप्त उनकी कर दो,

जल व कुशा उनको अर्पण कर दो।

समर्पण पितरों के लिए हमें करना, 

फर्ज़ को पीछे नहीं हमें रखना।।

शिखा अरोरा (दिल्ली)