घर वही

 युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क 

घर वही है,गली वही।

मीत वहीं ,रीत वहीं।

लोग बदल गए,

सोच बदल गई।

जिंदगी से उस गई,

बिखराव वहीं,

ठहराव नहीं।

मुश्किलो की बात गई,

इंतहान जिंदगी के,

झंझावात बात की।

उलझन साथ की,

तनाव में खड़ी।

कैसे निभाएं रिश्ते सारे,

राह कोई बताए।

सबके दिल में बस जाएं,

घर वही गली वही।

मीत वहीं,जीवन की रीत वहीं,

छोड़ा कुछ नया करते हैं।

जिंदगी से चंद सांस।

अपने लिए जीती हूँ।

      रचनाकार ✍️

      मधु अरोरा