janmashtami 2022: ये हैं दक्षिण भारत के सबसे प्रसिद्ध कृष्ण मंदिर, जरूर जाएं दर्शन करने

 युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क

भगवान श्रीकृष्ण की पूजा केवल हिंदू धर्म और भारत तक सीमित नहीं है, बल्कि विदेशों में भी कृष्ण को माना और पूजा जाता है। कृष्ण का जन्म भद्रा माह के रोहिणी नक्षत्र में अष्टमी तिथि को हुआ था। हर साल उनके जन्म तिथि पर कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाता है। भारत में श्रीकृष्ण के कई प्रसिद्ध मंदिर हैं। इन मंदिरों से नंद गोपाल की कहानियां और किस्से जुड़े हैं। कृष्ण के जन्म से लेकर उनके मथुरा आने तक और द्वारका के राजा बनने से लेकर महाभारत काल तक में केशव जहां जहां गए, वास किया, वे सब पवित्र मंदिरों के तौर पर आज पूजनीय हैं। वैसे तो श्रीकृष्ण के सबसे प्रमुख मंदिर का नाम आने पर कृष्ण जन्मभूमि मथुरा और गोकुल वृंदावन के मंदिरों का नाम याद आता है। लेकिन दक्षिण भारत में भी देवकीनंदन के कई प्रसिद्ध मंदिर हैं। कृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर दक्षिण भारत के सबसे प्रसिद्ध और प्राचीन कृष्ण मंदिरों के बारे में जानें।

दक्षिण का द्वारका गुरुवायूर मंदिर, केरल

दक्षिण भारत के केरल राज्य में श्रीकृष्ण के कई प्रसिद्ध मंदिर हैं। इनमें से एक गुरुवायूर मंदिर है, जिसे दक्षिण का द्वारका कहा जाता है। इस मंदिर को भूलोका बैकुंठ के रूप में भी जाना जाता है, जो कि पृथ्वी पर भगवान विष्णु का पवित्र निवास स्थान है। यहां भगवान कृष्ण का बाल रूप है, जिसे गुरुवायुरप्पन कहते हैं। इस मंदिर को लेकर एक मान्यता है कि जब गुजरात के द्वारका में बाढ़ आई, जो कृष्ण की मूर्ति बाढ़ में बह गई, जिसे बृहस्पति ने देखकर बचा लिया। उन्होंने इस मूर्ति की दोबारा स्थापना का विचार मन में लाते हुए जगह की तलाश की। केरल में उन्हें भगवान शिव और माता पार्वती के दर्शन हुए, जिन्हें बृहस्पति देव को कृष्ण की मूर्ति केरल में स्थापित करने को कहा। बृहस्पति देव ने वायु देव की मदद से मूर्ति को केरल में स्थापित कर दिया। इसलिए केरल के कृष्ण मंदिर का नाम बृहस्पति (गुरु) और वायु देव के नाम पर गुरुवायूर मंदिर हो गया।

पार्थसारथी मंदिर त्रिपलीकेन, चेन्नई

चेन्नई में श्रीकृष्ण का प्रसिद्ध मंदिर पार्थसारथी मंदिर त्रिपलीकेन स्थित है। इस मंदिर में भगवान विष्णु के चार अवतारों की पूजा होती है, जिसमें कृष्ण, राम, नृसिंह और भगवान वराह शामिल हैं। इस मंदिर से जुड़ी कई मान्यताएं हैं। मंदिर का इतिहास सदियों पुराना है। मंदिर की वास्तुकला भी अद्भुत है।

जगन्नाथ पुरी, उड़ीसा

भारत के चार धामों में से एक उड़ीसा का जगन्नाथ पुरी मंदिर है। यहां भगवान कृष्ण बड़े भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ विराजमान हैं। मान्यता है कि द्वापर के बाद भगवान श्रीकृष्ण पुरी में निवास करने लगे थे। जगन्नाथ पुरी की वार्षिक रथ यात्रा दुनिया भर में मशहूर है। यहां भगवान कृष्ण के रथ को खींचने के लिए दूर दराज से भक्त आते हैं। तीन विशाल रथों की यात्रा निकाली जाती है, जिसमें सबसे आगे प्रभु बलराम, फिर बहन सुभद्रा और आखिर में जगत के नाथ भगवान श्री जगन्नाथ जी होते हैं। आप कृष्ण जन्माष्टमी या फिर रक्षाबंधन के मौके पर भी जगन्नाथ पुरी धाम जा सकते हैं।

श्रीकृष्ण मठ मंदिर उडुपी, कर्नाटक

दक्षिण भारत में भगवान श्रीकृष्ण के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में श्रीकृष्ण मठ है। यह मंदिर कर्नाटक के उडुपी में है। उडुपी के श्रीकृष्ण मठ मंदिर की एक खासियत है। यहां भगवान कृष्ण की पूजा खिड़की के नौ छिद्रों में से की जाती है। मंदिर का निर्माण लकड़ी और पत्थर से किया गया है। मंदिर के करीब मौजूद तालाब के पानी में मंदिर का प्रतिबिंब दिखाई देता है। यहां जन्माष्टमी का उत्सव बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। श्रीकृष्ण मठ मंदिर में जन्माष्टमी के मौके पर बहुत ज्यादा भीड़ लगती है।