जीव को कर्म बन्धन से मुक्ति दिलाता है महादेव को रूद्रास श्रृंगार: कालेन्द्रानंद

 युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क

सहारनपुर। राधा विहार स्थित औघड़ दानी नर्मदेश्वर महादेव का 51 हजार रुद्राक्ष श्रृंगार किया गया। इस अवसर पर स्वामी कालेंद्रानंद महाराज ने कहा महादेव का रुद्राक्ष सिंगार करने से जीव कर्म बंधन से मुक्ति पाता है। श्री रामकृष्ण विवेकानंद संस्थान के तत्वधान में चल रही श्रावण मास पूजा में तृतीय सावन सोमवार को महादेव का पंचामृत से महा स्नान किया गया और नेपाल से 51 हजार रुद्राक्ष मंगवा कर औघड़ दानी नर्मदेश्वर का घ्51000 से महा श्रंगार किया गया और उसके ऊपर रुद्री पाठ शिव महिमन स्त्रोत शिव सहस्त्रनाम स्त्रोत से महा रुद्राभिषेक किया गया महा रुद्राभिषेक उपरांत भोले बाबा को भोग अर्पण कर महा आरती उतारी गई और सभी भक्तों को प्रसाद वितरण किया गया।                            

शिव महिमा का वर्णन करते हुए स्वामी कालेंद्रानंद जी महाराज ने कहा कि रुद्राक्ष भगवान सदाशिव के नेत्रों से निकले हुए अक्ष हैं जो शिव जी के साक्षात स्वरूप माने जाते हैं जिनमें मूलत है पंचमुखी शिव के पंचानन रूप का दिव्य स्वरूप है जिसमें भगवान भक्तों का परम कल्याण करते हैं।                            

शिव के नेत्रों से निकले हुए अक्ष जो रुद्राक्ष कह रहा है उनको एकत्रित कर सकूं भगवान श्री हरि विष्णु ने शिव जी को अर्पण किए जिससे शिव अति प्रसन्न हुए और श्री हरि को उन्होंने वरदान दिया आप ही जरा चल के पालक होकर जन जन का कल्याण करेंगे और जीव के मोक्ष और मुक्ति के अधिपति आप होंगे इसलिए यह मान्यता है जो शिवजी पर रुद्राक्ष श्रंगार कर पूजा एवं रुद्राभिषेक करता है भगवान उसके सभी कष्टों का निवारण कर उसका परम कल्याण करते हैं विशेषतः पूर्व जन्म के कर्मों को काटकर शिव की यह महापूजा जीव का जीवन कल्याणकारी हो जाता हैं।                                           

महाराज श्री ने कहा कि जब दक्ष यज्ञ में सती ने अपने शरीर को दहा किया तो शिव उस शरीर को कंधे पर लेकर उत्तर दिशा की ओर गमन कर दे और तीनों मित्रों से भयंकर ज्वाला निकल रही थी ज्वाला सृष्टि में प्ले मचा रही थी परंतु शिवजी के नेत्रों से अश्रु रूप अक्ष भी बह रहे थे जो धरा पर गिरते ही रुद्राक्ष का रूप हो गए जिन्हें रूद्र का साक्षात अक्ष स्वरूप माना जाता है। 

रुद्राक्ष को धारण करने से मन में परम शांति बनी रहती है क्योंकि मन का ग्रह चंद्रमा है और चंद्रमा रूद्र के भाल पर विराजते हैं अर्थात रुद्राक्ष स्वयं शिव स्वरूप है जिसमें शिवजी स्वयं परिवार सहित एवं अपने सभी आभूषणों के साथ में विराजते हैं रुद्राक्ष धारण करना प्रत्येक सनातनी का परम भाव है जिसमें सत रज तम अर्थात ब्रह्मा विष्णु महेश का साक्षात रूप वास करता है जिससे जिओ को सुख समृद्धि बल एवं प्रतिष्ठा निरंतर प्राप्त होती रहती है शिव की शरणागति होने से हे जीव का कल्याण है रुद्राक्ष धारण करने का अर्थ सुन शिव को धारण कर उनके चरणों में सदैव समर्पित रहना है।           

इस अवसर पर अरुण स्वामी पंडित योगेश तिवारी पंडित नीरज मिश्रा पंडित ऋषभ शर्मा पंडित सोनू शर्मा रमेश शर्मा अजब सिंह चैहान ठाकुर दिनेश सिंह ज्ञानेंद्र सिंह अजब सिंह अश्विनी कंबोज नरेश चंदेल विवेक गर्ग पवन दीवान मनीष गुप्ता सागर गुप्ता मनीष गोयल गीता बबीता शैलेश सुचेता उमा सविता करुणा वर्षा किरण बबली आदि ने बड़ी संख्या में भाग लेकर धर्म लाभ उठाया।