चंदन मस्तक लेपकर, बनते संत महान |
क्रोध द्वेष को त्याग दें,मिलता जग में मान ||
मिलता जग में,बाँधो पग में, सच्चे घुँघरू |
घटते रहते,पहुना कहते,प्राण पखेरु ||
मोक्ष मिलेगा, ज्ञान बढ़ेगा, महके जीवन |
दर्शन देंगे, ईश मिलेंगे,लेपो चंदन ||
चंदन जीवन साधना, महकेंगे हर बार |
लिपटे रहते सर्प है, विषधर त्यागे संसार ||
विषधर त्यागे, मन से जागे, भाव सलोना |
शीतल तन -मन, रखना हरदम, मानस कोना ||
सुंदर कानन, महके आँगन,करना वंदन |
भाव भजन हो, राम शरण हो,बनना चंदन ||
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कवयित्री
कल्पना भदौरिया"स्वप्निल "
लखनऊ
उत्तरप्रदेश