चंदन (अमृत ध्वनि छंद )

 युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क 


चंदन मस्तक लेपकर, बनते संत महान |

क्रोध द्वेष को त्याग दें,मिलता जग में मान ||

मिलता जग में,बाँधो पग में, सच्चे घुँघरू |

घटते रहते,पहुना कहते,प्राण पखेरु ||

मोक्ष मिलेगा, ज्ञान बढ़ेगा, महके जीवन |

 दर्शन देंगे, ईश मिलेंगे,लेपो चंदन ||


चंदन जीवन साधना, महकेंगे हर बार |

लिपटे रहते सर्प है, विषधर त्यागे संसार ||

विषधर त्यागे, मन से जागे, भाव सलोना |

शीतल तन -मन, रखना हरदम, मानस कोना ||

सुंदर कानन, महके आँगन,करना वंदन |

भाव भजन हो, राम शरण हो,बनना चंदन ||

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कवयित्री 

कल्पना भदौरिया"स्वप्निल "

लखनऊ

उत्तरप्रदेश