शुद्ध भाव से तीर्थ यात्रा करने पर ही हमारे पापों का क्षय होता है - मुनिराज तीर्थ रत्न सागर जी

 युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क 

साधना भवन में गिरनार तीर्थ की भाव यात्रा का हुआ आयोजन

बाड़मेर । स्थानीय साधना भवन में श्री अचलगच्छ चातुर्मास कमेटी के तत्वाधान में चल रहे चार माह वर्षावास के दौरान रविवार को दैनिक प्रवचन माला के दौरान गिरनार तीर्थ की भाव यात्रा के कार्यक्रम का आयोजन किया गया। श्री अचलगच्छ चातुर्मास कमेटी के ट्रस्टी पवन बोहरा ने बताया कि रविवार को साधना भवन में चातुर्मास में विराजमान मुनिराज तीर्थरत्नसागरजी म.सा. व मेघरक्षितसागरजी म.सा. की पावन निश्रा में भगवान नेमिनाथ गिरनार तीर्थ की भावयात्रा का कार्यक्रम हर्षाेउल्लास से संपन्न हुआ। 

जिसमे हजारो की संख्या मे जैन बंधुओ  ने भाग लिया। कैसे भगवान नेमिनाथ ने शादी करने जाते हुए पशुओ की वेदना सुनते ही शादी को त्याग कर सीधे ही गिरनार की और चल पड़े और उनको वहा से केवल और मोक्ष कल्याणक की प्राप्ति हुई। मुनिराज तीर्थरत्नसागर ने कहा कि वैसे ही जैन धर्म के अनुयायी को धर्म की पालना करते है, वैसे ही हमारे तीर्थाे की करो ताकि समाज और खुद का कल्याण हो सके। नवकार महामंत्र के नवपदों में 68 अक्षर शामिल है। इन 68 अक्षरों से हमारे महान तीर्थों  नाम भी प्रारंभ होते है। 

जैन धर्म बहुत दूर-दूर तक फैला हुआ है। ऐसे कई तीर्थ हैं जहां पहुंच पाना हमारे लिए मुश्किल है। कई तीर्थ ऐसे हैं जिनका हमारे शास्त्रों में उल्लेख है लेकिन वर्तमान में विलुप्त हो चुके हैं। हम सारे तीर्थों की वंदना अपने शुद्ध भावों के साथ कर सकते हैं। पूरे विश्व मे गिरनार तीर्थ अपने आप मे विख्यात है यह बात मुनिराज श्री तीर्थरत्नसागरजी ने रविवार को स्थानीय साधना भवन में गिरनार तीर्थ की भाव यात्रा कार्यक्रम में कही। शुद्ध भाव से तीर्थ यात्रा करने पर भी हमारे पापों का क्षय होता है। तीर्थ, धर्म और संस्कृति की पहचान होते हैं।

मुनिराज ने कहा तीर्थाे की यात्रा जीवन यात्रा पर विराम लगाती है। जो तारे वह तीर्थ कहलाता है। प्राचीन तीर्थ भूमियों पर अनेक आत्माओं ने सिद्धत्व को प्राप्त किया है। आज भी तीर्थों पर जाने वाली आत्मा असीम शांति का अनुभव करती है। भाव यात्रा हमारे भावों को शुद्ध बनाती है। भावयात्रा का मंगल कार्यक्रम सुबह 9.30 बजे प्रारंभ हुआ। भावयात्रा में भक्ति के माध्यम से गिरनार तीर्थ की विधि-विधान पूर्वक आध्यात्मिक भक्ति की गई। अष्ट प्रकारी पूजन सामग्री अर्पण की गई। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में श्रोता मौजूद थे।