आओ उन्नीस सौ चौंतीस की धारा तेज करें।
जेल, फावड़ा, वोट, मेल का नारा तेज करें।
वो आचार्य नरेन्द्रदेव के दीवानों आओ,
वो लोहिया और जयप्रकाश के परवानों आओ,
राजनारायण, मधु, जार्ज के, अरमानों आओ,
चौहत्तर, सतहत्तर का जयकारा तेज करें।
आओ उन्नीस सौ चौंतीस की धारा तेज करें।
जेल, फावड़ा, वोट, मेल का नारा तेज करें।
हर स्तर पर लोकतन्त्र की जान बचाने को,
कार्यपालिका का पूँजी से मान बचाने को,
न्याय पालिका का गिरता सम्मान बचाने को,
फिर से गाँधी नेहरू का ललकारा तेज करें।
आओ उन्नीस सौ चौंतीस की धारा तेज करें।
जेल, फावड़ा, वोट, मेल का नारा तेज करें।
कृषकों को उनकी फ़सलों का मूल्य दिलाने को,
हर शोषण से मजदूरों का गला छुड़ाने को,
भारत के सब नवरत्नों की सांस बचाने
गांव गांव में युवा शक्ति का पारा तेज करें।
आओ उन्नीस सौ चौंतीस की धारा तेज करें।
जेल, फावड़ा, वोट, मेल का नारा तेज करें।
नफरत, हिन्सा, रार, घृणा का ख़ार कुचलने को,
दया, प्रेम, ममता, यारी का फूल उगाने को,
अपने सुन्दर भारत का फिर मूल जगाने को,
पुनः गोडसे को कहना हत्यारा तेज करें।
आओ उन्नीस सौ चौंतीस की धारा तेज करें।
जेल, फावड़ा, वोट, मेल का नारा तेज करें।
मानसरोवर और तिब्बत को मुक्त कराने को,
संघ बना ढाका, पिण्डी से हाथ मिलाने को,
कर्जे में डूबे लंका की जान बचाने को,
सभी पड़ोसी जनों को कहना प्यारा तेज करें।
आओ उन्नीस सौ चौंतीस की धारा तेज करें।
जेल, फावड़ा, वोट, मेल का नारा तेज करें।
- धीरेन्द्र नाथ श्रीवास्तव