स्वामी रामभद्राचार्य ने गणेश बाग में हरिशंकरी का पौधा रोपण किया गया

 युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क 

चित्रकूट। आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत  स्वतंत्रता के 75 वीं वर्षगांठ के अवसर पर आज गणेश बाग में मुख्य अतिथि परम पूज्य स्वामी रामभद्राचार्य के द्वारा हरिशंकरी का पौधा रोपण किया गया । प्रांगण में बृहद स्तंभ पर स्थापित झंडा का रोहण भी किया। तत्पश्चात उन्होंने कहां की चित्रकूट कर्वी की ऐतिहासिक स्थल के पावन परिसर में  आजादी के अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है। 

उन्होंने कहा कि अमृत का आशय हमारी भारतीय परंपरा में कुछ बिंदुओं के महत्व का है। उन्होंने कहा 25 वर्ष पूर्ण होने पर रजत जयंती, 50 वर्ष पूर्ण होने पर स्वर्ण जयंती ,75 वर्ष पूर्ण होने पर अमृत महोत्सव, एवं 100 वर्षों की हीरक जयंती कही जाती है। उन्होंने कहा कि स्वर्ण जयंती की 75 वीं वर्षगांठ  हैं इसलिए अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कल हम लोग एक विभाजन विभीषिका के रूप में मनाए। 

उन्होंने कहा कि पूर्व के राजनेताओं की दूरदर्शिता ने देश को बांट दिया ।आज 70 प्रतिशत  हमें मिले और 30 प्रतिशत पाकिस्तान में चला गया । कश्मीर को पूरे भारत में विलय करने के लिए हरि सिंह ने हस्ताक्षर किए थे। उन्होंने यह भी बताया कि 30 प्रतिशत पाक हमें मिल जाए तो अखंड भारत हो जाएंगा। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता बहुत दिनों के बाद मिली स्वतंत्रता में बहुत लोगों ने बलिदान दिए एवं लाखों लोगों ने फांसी पर चढ़े ।यातना देकर कारागृह मार डालते थे । 

उन्होंने कहा एक प्रश्न हमें दहला देते हैं जो पटना का प्रकरण है उन्होंने बताया कि इस प्रकरण में वंदे मातरम्  बोलना था जिसमें छोटे छोटे बच्चों को  भी गोली मार देते थे । उन्होंने कहा कि आज मेरी एक अपेक्षा है जिसको जो काम मिला है वे अपने निष्ठा से पूरा करें यही भगवान की कामना है एवं मन से कार्य करें  उन्होंने सुभाष चंद्र बोस के चंद्र लाइनों को दोहराते हुए कहा कि तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा लेकिन मैं कह रहा हूं कि तुम मुझे निष्ठा दो मैं तुम्हें प्रतिष्ठा देंगे। 

उन्होंने फिर दोहराते हुए कहा कि अपना अपना कार्य निष्ठा के साथ करें ।उन्होंने यह भी कहा कि प्रदेश में अयोध्या छितीज पर आ गया है उसी तरह चित्रकूट भी हो जाए। उन्होंने कहा सारे तीर्थ का  विकास हो चुका है चित्रकूट का नहीं क्योंकि यहां के लोग नहीं चाहते। उन्होंने कहा कि आज हम प्रण लेते हैं कि इसका भी विकास किया जाए।