रख खुद पर एतबार!

परवाज नहीं हे पंखों की मोहताज,

खामोशी से भी भरी हे एक आवाज,

बढ़ते जा, चलते जा,

क्योंकि जमाने को तो है हर बात पर एतराज।


खटक ने दे तेरी खामोशियां,

रास्ते में जरूर मिलेगी कामयाबीया,

जवाब देना नहीं है किसी को जरूरी,

जला तू हौसले का दीया।


तुझको भी हे ख्वाब देखने का हक,

कर ना तो खुद की हिम्मत पर शक,

निकालने वाले निकालेंगे बहुत सी कमियां,

खुद के हुनर को तू ही परख।


क्यों रोए उस पर जो पीछे छूटा,

क्यों तू इतना खुद से ही रूठा,

पकड़ के रख जो है तेरे पास,

तेरा अंदाज है बेहद अनूठा।।


डॉ. माध्वी बोरसे!

राजस्थान (रावतभाटा)