प्रतिद्वंदी को नीचा दिखाने का भाव

 युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क


हर क्षेत्र में अजीब रिवाज छाया है 

प्रतिद्वंदी को नीचा दिखाने का भाव आया है 

कहीं बड़ न जाए मुझसे यह डर समाया है 

अतःप्रतिद्वंदी को नीचा दिखाने का भाव आया है 


कोई इल्जाम लगा दो यह ट्रेंड आया है 

बुराई का लिबास ओड़ा दो भाव समाया है 

वह तो इज्जतदार है इज्जत कमाया है 

हम तो बेइजतदार हैं इसलिए यह भाव समाया है 


सामाजिक सेवा राजनीति व्यापार सेवा क्षेत्र में 

यह भाव तेजी से ट्रेंड में आया है 

इस भाव नें समाज सेवाको राजनीति सीढ़ीबनाया है अधिकतम लाभ टांग खींचने में पाया है 


परंतु मेरे मूर्ख मन तूने यह बुराई समाया है 

एक उंगली दूसरे के तरफ उठाया है 

तीन उंगलियां खुद के तरफ पाया है 

गड्ढा खोदा दूसरे के लिए खुद को गड्ढे में पाया है 


लेखक - कर विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार कानूनी लेखक चिंतक कवि एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र