माला (अमृत ध्वनि छंद )

 युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क 

माला मन की फेर लो,पूरे  होंगे  काज |

दर्शन दे दो राम जी,ह्रदय पुकारे आज ||

ह्रदय पुकारे, आजा प्यारे, अँखियाँ तरसे |

नैन   हमारे,  प्रेम  तुम्हारे, बादल  बरसे ||

शरण तुम्हारे, अधर   पुकारे,दें  दो  प्याला 

ध्यान तुम्हारा, भजन हमारा,जपती माला ||

अविनाशी वो ब्रम्ह है, भजन करों निष्काम |

माला फेरुँ प्रेम की, आजा प्यारे राम ||

आजा प्यारे,जगती आशा,नैन निहारे |

मन से कहती, तुमको जपती,भाव हमारे ||

बसी उमंगे, उठी तरंगे,बैठी प्यासी |

हृदय समाया, सब बिसराया,तू अविनाशी, ||

झूठी माया देखकर, करना मत अनुराग |

माला फेरो श्याम की, जगता जाता भाग ||

जगता जाता, नेह प्रदाता, समझो प्यारे |

ध्यान लगाओ, हृदय बसाओ, वो है न्यारे ||

कहती दुनिया, सुनती सखियाँ,  बात अनूठी |

संत बताये, सत्य दिखायें, माया झूठी ||

चलती चाकी देखकर, समझो मानव आज |

साबुत बचता कुछ नहीं, छूटे सारे काज ||

छूटे सारे, बन्धन प्यारे, सबको जाना |

खेल दिखाया, मेल सिखाया, जाना आना ||

मन की माला, पीकर प्याला,  भज लो साकी |

नश्वर काया, झूठी माया,चाकी चलती ||

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कवयित्री

कल्पना भदौरिया "स्वप्निल "

लखनऊ

उत्तरप्रदेश