वंदे मातरम

 युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क


दिल से बोले मातरम बोले वंदे मातरम।

कानों में मिसरी सी घोले वंदे मातरम।

दिल से बोले....


यत्र है सर्वत्र है।

आजादी का यंत्र है।

आहुति में वीराें की,

यह पुनीत महामंत्र है।

उठती हुई अग्नि भी देखो बोले वंदे मातरम।

कानों में मिसरी सी देखो घोले वंदे मातरम।

दिल से बोले....


बंकिम का लिखा ये सार वन्दे मातरम।

धमनियों में बहती हुई रसधार वंदे मातरम।

सहस्त्रों कंठो ने समवेत स्वर दिए जिसे,

राष्ट्रभक्ति का उठता ज्वार वंदे मातरम।

आजादी की राह के पट खोले वंदे मातरम।

कानों में मिस्री सी देखो घोले वंदे मातरम।

दिल से बोले....


काल कोठरी में भी कहां रूके थे जवां।

बेड़ियों ने पाज़ेब बन बांध डाला शमा।

अत्याचार की सीमा से परे पौरुष खड़ा,

बर्फ की सिलियां लेने लगी सिसकियां।

स्वयंवर रचाने चले जो काल से भला,

बोलो काल फिर कैसे न बोले वंदे मातरम।

कानो में मिसरी सी देखो घोले वंदे मातरम।

दिल से बोले....


ये मंगल गीत है, सब गाओ वंदे मातरम।

हवा में एक सुर में फैलाओ वंदे मातरम।

हर मन में भक्ति जगाओ वंदे मातरम।

नारे जगत जननी के लगाओ वंदे मातरम।

जो अग्रणी है, कण कण है जिसका ऋणी।

उस मां की स्तुति में सब बोले वंदे मातरम।

कानों में मिसरी से देखो घोले वंदे मातरम।

दिल से बोले......


नवीन गोदियाल

फरीदाबाद