पाईं आजादी बड़े जतन से

 युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क

लाखों नमन हैं उन्हे जिन्होंने जान गवाई

जिनकी की बदौलत हमने हैं आजादी पाईं

हजारों सालों तक जो जहमत उन्होंने  उठाई

चले उस राहों पे जिस पर थे कांटे हरजाई

नर हो या हो नारी सभी थे उन राहों पर

उन्माद आजादी का छाया उन सब पर

न कोई उम्र की सीमा बाल युवा या वृद्ध 

सभी लड़े  गोरों से हो कर बड़े ही क्रुद्ध

बल छल वालें शासकों ने लूटा अपना देश

लूट लिया उसे जो थी सोने की चिड़िया

सोना चांदी हीरे लूटे लूट लिया स्वाभिमान

बन गए वो भी बेचारे जिन्हे था अभिमान

नहीं पता आज सबको कैसे पाई आजादी

कद्र करों उनकी कुरबानी खरे दिल से

क्योंकि मिली आजादी बड़े जतन से बलिदान से

जयश्री बिरमी

अहमदाबाद