भारत माता के रखवाले
भारत माँ पर मिटने वाले
अपनी धुन के पक्के सिपाही
काम जो कर गए अजब निराले
गुलामी भारत माता की देखकर
उनके मन में कुछ खटक रहा था
अत्याचार भारतीयों पर देखकर
मन द्रवित होकर भटक रहा था
आज़ादी की कसम थी खाई
आज़ाद हिंद फौज थी बनाई
अंग्रेजों से लोहा लेकर
आज़ादी की लड़ी लड़ाई
जलाकर ज्योति देश प्रेम की
अमर हो गए वह बलिदानी
भारत माता को जंजीरों से
आज़ाद करने की थी जिसने ठानी
देशभभक्ति का जज़्बा जागा युवा बहुत आगे आये
आगे बढ़ते गए सब मिल कर कन्धे से कन्धा मिलाए
अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर सबने मजबूर किया
आज़ाद हिंदियों ने दिन में तारे उनको दिखलाए
गर्म खून के थे नेताजी अत्याचार नहीं सहते थे
डरतें नहीं किसी से जो कहना मुंह पर कहते थे
एक ही मकसद था उनका बस आज़ादी मिल जाये
उठते बैठते चलते फिरते यही सोचते रहते थे
तुम मुझे खून दो मैं तुमको आज़ादी दूंगा
भारतमाता का शीश कभी झुकने न दूंगा
सोने की चिड़िया को मिलकर बहुत लूट चुके हैं सारे
गिन गिन कर बदला लूंगा अब और नहीं लुटने दूंगा
रवींद्र कुमार शर्मा
घुमारवीं
जिला बिलासपुर हि प्र