गौवंश की दुर्दशा खराब , जिम्मेदार कौन : शिव प्रकाश सिंह

                                             
 युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क

ब्यूरो , सीतापुर। जनपद सीतापुर में देहात से लेकर शहरी क्षेत्रों में वर्तमान की सबसे बड़ी समस्या बन चुके घूम रहे आवारा पशुओं का कोई पुरुषाहाल नहीं ह। और समस्या निवारण हेतु चुनावी समय वादे तो किए जाते हैं परंतु सत्ता प्राप्ति के बाद जिम्मेदार अपने वायदों से मुकर जाते हैं। एयर कंडीशन कमरों में बैठकर इस समस्या के निराकरण हेतु लिए गए निर्णय धरातल पर पहुंच कर हवा हवाई साबित होते हैं। 

यह बात किसान मंच प्रदेश प्रभारी/प्रदेश महासचिव भारतीय पत्रकार संघ शिव प्रकाश सिंह ने जनपद सीतापुर में संचालित गौशालाओं के निरीक्षण के बाद जारी प्रेस वार्ता में कही। उन्होंने कहा कि गौशालाओं में भूख से तड़प तड़प कर मर रहे गौवंश की सुधि लेने वाला कोई नहीं है!शिव प्रकाश सिंह ने कहा कि सभी को पता है गौशालाओं में पहुंचे गौवंश को तड़पाना शासन और प्रशासन का उद्देश्य बन चुका है। शासन द्वारा प्रति जानवर निर्गत की जा रही तीस रुपए की धनराशि से दो किलो सूखा भूसा भी नहीं मिलता,भूसे की कीमत पंद्रह सौ रुपए प्रति क्विंटल से अधिक है। 

और सभी को पता है एक जानवर के लिए सात आठ कि०ग्रा० चारे की जरूरत दाने के साथ होती है! फिर शासन द्वारा निर्धारित तीस रुपए प्रति जानवर से भरण पोषण कैसे संभव है। साथ ही इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि जिम्मेदार प्रधान द्वारा व्यय की जा चुकी धनराशि कितने समय बाद प्रशासन के जिम्मेदारों को कितना प्रतिशत सुविधा शुल्क देकर उपलब्ध हो पाएगी!विगत प्रधानी कार्यकाल में खर्च हुई धनराशि के लिए पूर्व प्रधान जो आरक्षण के कारण पूर्व है या चुनाव हार गए हैं,दर दर भटक रहे हैं!कोई जिम्मेदार उनकी सुधि लेने वाला नहीं है!पूर्व प्रधानों की दशा देखकर वर्तमान प्रधान गौ सेवा में हिम्मत नहीं जुटा पा रहे?इस अव्यवस्था में किसानों से अधिक शासन और प्रशासन जिम्मेदार है! 

अपनी फसल की रखवाली के लिए किसानों द्वारा कंटीले तारों को लगाकर चौबीसों घण्टे अपने खेत की रखवाली करनी पड़ती है!साथ ही कंटीले तारों में उलझकर घायल गौवंश की बद्दुआ लेना किसानों की मजबूरी बन गई है!इस ज्वलंत समस्या के चलते देहात क्षेत्रों में कोई भी जमीन को खरीदने से इस लिए कतराति हैं,चूंकि वह अपनी निजी जमीन की फसल ही नहीं बचा पाता?

 साथ ही शहरी क्षेत्रों में निवास कर रहे व्यवसाय से जुड़े लोग भी कृषि भूमि में उलझकर अपना निवेश और समय जाया नहीं करते?सत्तारुढ़ भाजपा को इस समस्या से निजात हेतु सिर्फ चुनावी वायदों से अलग,उपरोक्त बिंदुओं पर ठोस निर्णय लेने का समय आ चुका है!अन्यथा यह जटिल समस्या भविष्य के लिए बहुत ही घातक बनती जा रही है!और भूख के साथ बेमौत मर रहे मूक गोवंश पर हो रही त्रासदी से इंसानियत नाम का शब्द ही समाप्त हो जाएगा!